युग हत्याकांड में हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचा परिवार
राजधानी शिमला के बहुचर्चित युग हत्याकांड मामले में हिमाचल हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ पीड़ित परिवार ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर कर दोषियों को फांसी की सजा देने की मांग की है। परिवार हाईकोर्ट के फैसले से संतुष्ट नहीं है। इसी के चलते युग के पिता विनोद गुप्ता ने उच्च न्यायालय के निर्णय को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का दरवाज़ा खटखटाया है, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है और इस पर जल्द सुनवाई हो सकती है।
गौरतलब है कि 23 सितंबर को हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को पलटते हुए युग हत्याकांड में एक दोषी तेजिंद्र पाल को बरी कर दिया था, जबकि दो दोषियों की फांसी की सजा को उम्रकैद में बदल दिया था। युग के पिता का कहना है कि हत्या में जिस आरोपी की प्रमुख संलिप्तता थी, उसे ही हाईकोर्ट ने बरी कर दिया और बाकी दो दोषियों की सजा को फांसी से उम्रकैद में बदलना भी न्यायसंगत नहीं है। ऐसे में परिवार ने सुप्रीम कोर्ट से न्याय मिलने की उम्मीद जताई है।
बता दें कि 5 सितंबर 2018 को चार साल के मासूम युग की हत्या मामले में जिला अदालत ने तेजिंद्र पाल, चंद्र शर्मा और विक्रांत बख्शी को दोषी करार देते हुए फांसी की सजा सुनाई थी। यह निर्णय पुष्टिकरण के लिए हाईकोर्ट भेजा गया था। हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान दोषी चंद्र शर्मा और विक्रांत बख्शी की फांसी की सजा को उम्रकैद में परिवर्तित कर दिया, जबकि तीसरे दोषी तेजिंद्र पाल को सबूतों के अभाव में संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया। फिलहाल मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुका है, जहां पीड़ित परिवार एक बार फिर कड़ी सजा की उम्मीद कर रहा है।
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