मैकेनिक ने बनाई रिमोट से दौड़ने वाली HRTC की वॉल्वो बस

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पहाड़ी प्रदेश में प्रतिभा ) की कमी नहीं है। हिमाचल पथ परिवहन निगम स्थापना के 50वें  वर्ष  में दाखिल हो चुका है। निगम ने उत्सव की तैयारी भी शुरू कर दी है। इसी बीच एक दिलचस्प खबर भी आई है। सोलन जनपद के अर्की उपमंडल के पीपलूघाट के एक युवक विशाल ने निगम के शिमला डिपो की वॉल्वो बस का रिमोट संचालित मॉडल   तैयार किया है।

ये वॉल्वो बस (मॉडल) करीब डेढ़ फ़ीट लंबी है, जबकि 9 इंच ऊंची है। वजन करीब अढ़ाई किलोग्राम है। एक साधारण मैकेनिक ने साबित कर दिखाया है कि प्रौद्योगिकी को विकिसित करने के लिए बड़ी डिग्री की आवश्यकता नहीं होती है। राज्य सरकार प्रोत्साहित करें तो ऐसे तकनीक बाज न केवल राष्ट्रीय बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी प्रदेश को गौरवान्वित कर सकते हैं।

 आप जानकर हैरान होंगे, विशाल की दसवीं में पढ़ाई छूट गई थी। इसके बाद ओपन स्कूलसे दसवीं की शिक्षा पूरी करने के बाद अंबुजा सीमेंट फाउंडेशन आईटीआई दाड़लाघाट से इलेक्ट्रॉनिक्स मैकेनिक ट्रेड से दो साल का प्रशिक्षण हासिल किया है। मौजूदा में औद्योगिक क्षेत्र बद्दी के एक उद्योग में नौकरी भी कर रहा है।

 खास बात यह भी है कि विशाल को केवल बसों व ट्रकों  के मॉडल बनाने की ही महारत नहीं है, बल्कि इलेक्ट्रॉनिक होम, ऑटोमेटिक सोलर स्ट्रीट लाइट, फाउंटेन, ऑटोमेटिक वाटर स्टोरेज टैंक आदि के मॉडल बनाने में भी महारत है।

        एमबीएम न्यूज़ नेटवर्क से बातचीत में विशाल ने बताया कि वॉल्वो बस का रिमोट संचालित मॉडल बनाने में 15 हजार रुपए तक का खर्च आया है,  इसे बनाने में 20 से 25 दिन का समय लगा है। उन्होंने बताया कि निजी नौकरी  से मिलने वाले वेतन को मॉडल बनाने पर खर्च कर देते हैं। विशाल ने कहा कि वो दोबारा रिमोट मॉडल पर इतनी राशि नहीं खर्च कर सकते हैं। इसमें कोई दो राय नहीं है कि शौक व जुनून पर विशाल न केवल लाखों रुपए खर्च कर चुका है, बल्कि समय भी खर्चा है।   दीगर है कि उपकरणों के मॉडल बनाने की अदभुत कला के धनी विशाल की कृतियां वास्तविक लगती हैं। विशाल का यह भी कहना था कि वॉल्वो बस के मॉडल में असल चैसी का इस्तेमाल किया है। युवक का ये भी कहना कि यदि हिमाचल पथ परिवहन निगम का प्रबंधन मॉडल को लेना चाहता है तो वो तैयार है, बशर्ते खर्च को वहन करें। विशाल का यह भी कहना था कि वो अब खर्चीले मॉडल नहीं बनाना चाहता है, वो अब कम लागत वाले मॉडल ही बनाएगा।

Vishal Verma

20 वर्षों के अनुभव के बाद एक सपना अपना नाम अपना काम । कभी पीटीसी चैनल से शुरू किया काम, मोबाईल से text message के जरिये खबर भेजना उसके बाद प्रिंट मीडिया में काम करना। कभी उतार-चड़ाव के दौर फिर खबरें अभी तक तो कभी सूर्या चैनल के साथ काम करना। अभी भी उसके लिए काम करना लेकिन अपने साथियों के साथ third eye today की शुरुआत जिसमें जो सही लगे वो लिखना कोई दवाब नहीं जो सही वो दर्शकों तक