
नगर निगम शिमला में सियासी घमासान थमने का नाम नहीं ले रहा। भाजपा पार्षदों ने प्रदेश सरकार के मेयर और डिप्टी मेयर का कार्यकाल बढ़ाने के फैसले को अदालत में चुनौती देने की तैयारी शुरू कर दी है। पार्टी के उच्च नेतृत्व ने इस संबंध में भाजपा के पार्षदों को निर्देश जारी किए हैं कि वह कोर्ट में इस मामले को लेकर याचिका दायर करें। लिहाजा भाजपा पार्षदों ने को इस प्रक्रिया की पूरी तैयारी कर ली है। भाजपा का दावा है कि शुक्रवार को कोर्ट में याचिका (पिटीशन) दायर की जाएगी। भाजपा के पार्टी नेतृत्व की ओर से पार्षदों को इस कानूनी प्रक्रिया को आगे बढ़ाने को लेकर पार्षदों को कई अहम निर्देश जारी किए हैं। हिमाचल सरकार ने हाल ही में नगर निगम के मेयर और डिप्टी मेयर का कार्यकाल ढाई साल से बढ़ाकर पांच वर्ष कर दिया है। इसको लेकर सरकार अध्यादेश भी ला चुकी है लेकिन नगर निगम में कांग्रेस शासित पार्षदों के बीच में ही बगावत शुरू हो गई है।कांग्रेस के 24 पार्षदों में से 15 पार्षद विरोध में उतरे हुए हैं। अविश्वास प्रस्ताव को लेकर भी एक धड़ा डरा हुआ है। इसी का फायदा उठाकर और सदन में महिलाओं को हक मिले इसको लेकर भाजपा कोर्ट जा रही है। हालांकि दूसरी ओर निगम के महापौर ने इस डैमेज को कंट्रोल करने की बिसात बिछा दी है। पार्षदों को मनाने और अविश्वास प्रस्ताव से बचने के लिए बगावती पार्षदों के वार्डों में जाकर काम देखे जा रहे है। पिछले कई वर्षों से वायदे पूरे नहीं हो पाए हैं, उन वार्डों के पार्षदों से मनमुटाव भुलाकर साथ चलने को लेकर बात की जा रही हैं। दावा है कि आने वाले दिनों में शहरी विधायक, ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज मंत्री के अलावा लोक निर्माण मंत्री के करीबी पार्षदों को मना लिया जाएगा। नगर निगम के 34 वार्ड में से 24 में कांग्रेस समर्थित पार्षद हैं। इसके अलावा नौ पर भाजपा और एक पर माकपा पार्षद जीती हैं। 34 सदस सदस्यों के सदन में 21 पार्षद महिलाएं हैं।
ड्रैमेज कंट्रोल : कांग्रेस के बड़े नेताओं ने भी संभाला मोर्चा
नगर निगम में गरमाई सियासत के बीच कांग्रेस सरकार भी डैमेज कंट्रोल में जुट गई है। बागी पार्षदों को मनाने की कवायद तेज हो गई है। इसके लिए मेयर कार्यालय और सचिवालय से बागी पार्षदों को फोन आ रहे हैं। मुख्यमंत्री के साथ बैठक के बावजूद पार्षदों के तेवर नरम नहीं पड़े हैं। मुख्यमंत्री के करीबी नेता बागी पार्षदों को फोन कर सदन में गरिमा और एकजुटता में रहने का पाठ पढ़ा रहे हैं। कई महिला पार्षदों के पतियों को भी फोन कर मामला शांत करने के लिए समझाया जा रहा है। हालांकि गुरुवार शाम तक बागी पार्षद अपने मुद्दे पर एकजुट होने का दावा कर रहे थे। पार्षदों का कहना है कि वह सरकार, मेयर और डिप्टी मेयर के खिलाफ नहीं हैं बल्कि वह सिर्फ रोस्टर के हिसाब से किसी महिला पार्षद को मेयर बनाने की मांग कर रहे हैं। वहीं बागी पार्षद महिला पार्षद को मेयर बनाने की मांग कर रहे हैं। सरकार चाहे तो डिप्टी मेयर उमा कौशल को ही महापौर बना दें।
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