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मंत्री राजेश धर्माणी ने क्योटो प्रोटोकॉल की तर्ज पर हिमाचल को मुआवजा देने का किया आग्रह

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जीएसटी काउंसिल (वस्तु एवं सेवा कर) की 55वीं बैठक राजस्थान के जैसलमेर में केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में आयोजित की गई। तकनीकी शिक्षा मंत्री राजेश धर्माणी के नेतृत्व में हिमाचल प्रदेश के प्रतिनिधिमंडल ने बैठक में भाग लिया। राजेश धर्माणी ने कहा कि हिमाचल को ‘क्योटो प्रोटोकॉल’ की तर्ज पर मुआवजा जारी किया जाना चाहिए जिसके अंतर्गत कम कार्बन उत्सर्जन वाले देश को अधिक उत्सर्जन करने वाले देशों के मुकाबले मुआवजा दिया जाता है। उन्होंने प्रदेश के कम जनसंख्या घनत्व को ध्यान में रखने का आग्रह किया।बैठक में जीएसटी मुआवजे के मामले को उठाते हुए राजेश धर्माणी ने हिमाचल जैसे राज्य को जीएसटी लागू होने के कारण हुए राजस्व घाटे की भरपाई के लिए समुचित व्यवस्था करने का आग्रह किया। इसके अतिरिक्त उन्होंने सीजीएसटी प्राधिकरण से हिमाचल प्रदेश के टोल धारकों को जारी किए गए 200 करोड़ रुपये के डिमांड नोटिस का मुद्दा भी उठाया। तकनीकी शिक्षा मंत्री ने इस बात पर बल दिया कि कानून की स्थिति को ध्यान में रखते हुए केंद्रीय जीएसटी विभाग को नोटिसों को रद्द करना चाहिए और इस मामले में और अधिक स्पष्टता लाने का आग्रह किया।

राजेश धर्माणी ने स्वास्थ्य और टर्म इन्श्योरेंस पॉलिसी विशेषकर महिलाओं, बच्चों और वरिष्ठ नागरिकों के लिए जीएसटी में छूट की वकालत की। उन्होंने पब्लिक-टू प्राइवेट साझेदारी और वित्तपोषण से जुड़े अनुसंधान एवं विकास कार्यों पर आरम्भिक 10 से 15 वर्षों के लिए जीएसटी पर छूट देने का आग्रह किया। इससे पहले शुक्रवार को जैसलमेर में आयोजित पूर्व बजट बैठक में धर्माणी में राज्य में आपदा प्रतिरोधक अधोसंरचना के निर्माण के लिए ‘अडेप्टेशन फंड’ (अनुकूलन निधि) स्थापित करने की मांग की।

उन्होंने केन्द्रीय वित्त मंत्री से कांगड़ा हवाई अड्डे के विस्तार और भानुपल्ली-बिलासपुर और चंडीगढ़ बद्दी जैसी रेल परियोजनाओं के लिए भूमि अधिग्रहण में कम से कम 50 प्रतिशत केन्द्रीय हिस्सेदारी प्रदान करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि संयुक्त उद्यम के बजाए इन महत्त्वपूर्ण परियोजनाओं को क्रियान्वयन केंद्र सरकार द्वारा किया जाना चाहिए। पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश चीन के साथ अंतरराष्ट्रीय सीमाओं से सटा हुआ है, इसके दृष्टिगत इन परियोजनाओं के लिए वित्तीय हिस्से का भुगतान करने में केन्द्र सरकार द्वारा पूरी तरह छूट दी जानी चाहिए। तकनीकी शिक्षा मंत्री ने विशेष केंद्रीय सहायता को जारी रखने और आरडीजी ग्रांट तथा सीआरआईएफ में वृद्धि करने की भी वकालत की। उन्होंने कहा कि वर्ष 2020-21 की 11,140 करोड़ रुपये की तुलना में ग्रांट को घटाकर वर्ष 2025-2026 में 3256 करोड़ रुपये किया गया है।

इसके अतिरिक्त उन्होंने केंद्रीय वित्त मंत्री को प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत रज्जू मार्गों को सम्मिलित करने और पीएमजीएसवाई के तहत किए गए कार्यों के लिए 10 प्रतिशत स्टेट शेयर तथा पांच वर्षों के लिए रखरखाव लागत उपलब्ध करवाने का भी आग्रह किया। उन्होंने जियोमैट्रिक इंजीनियरिंग, जियोसांइसिज़, इन्वायरमेंट इंजीनियरिंग, आपदा आधारित तथा न्यू ऐज तकनीक आधारित पाठ्यक्रमों एवं तकनीकी, वोकेशनल एजूकेशन और अनुसंधान पर विशेष ध्यान केंद्रित करते हुए प्रदेश में बहुुउद्देशीय संस्थानों सहित स्किल यूनिवर्सिटी स्थापित करने पर बल दिया।

तकनीकी शिक्षा मंत्री ने वन-संरक्षण अधिनियम के नए प्रावधानों के तहत प्रदेश में नए सेटेलाइट टाऊन स्थापित करने की भी पुरज़ोर वकालत की। उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों में सीवरेज ट्रीटमेंट सुविधा और प्राकृतिक खेती तथा दुग्ध प्रसंस्करण के लिए धन उपलब्ध करवाने और एग्रो पार्क स्थापित करने पर भी विशेष बल दिया। उन्होंने सेब उत्पादकों के हितों को ध्यान में रखते हुए वित्त मंत्री को सेब के आयात पर सीमा शुल्क को 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 100 प्रतिशत करने का आग्रह किया। केंद्रीय वित्त मंत्री ने प्रदेश की मांगों पर विचार करने और उचित समाधान सुनिश्चित करने का आश्वासन दिया।

राज्य कर एवं आबकारी आयुक्त डॉ. यूनुस और अतिरिक्त आयुक्त (जीएसटी) राकेश शर्मा प्रदेश के प्रतिनिधिमंडल में शामिल थे।

Vishal Verma

20 वर्षों के अनुभव के बाद एक सपना अपना नाम अपना काम । कभी पीटीसी चैनल से शुरू किया काम, मोबाईल से text message के जरिये खबर भेजना उसके बाद प्रिंट मीडिया में काम करना। कभी उतार-चड़ाव के दौर फिर खबरें अभी तक तो कभी सूर्या चैनल के साथ काम करना। अभी भी उसके लिए काम करना लेकिन अपने साथियों के साथ third eye today की शुरुआत जिसमें जो सही लगे वो लिखना कोई दवाब नहीं जो सही वो दर्शकों तक