सोलन भाजपा ने अपना कार्यालय खोलने के लिए जमीन क्या ली अपने गले के लिए फांस ही ले ली। जो जमीन कभी 90 लाख में ली आज 26 लाख में किसी ने ले ली। बस यहीं से शुरुआत हुई कुछ लोगों के राजनीतिक पतन की।
दरअसल पूर्व भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने सोचा कि पूरे भारत में भाजपा के संगठनात्मक जिलों के हिसाब से हर जगह पार्टी कार्यालय खोला जाए जहां पार्टी कार्यकर्ता आराम से बैठकर पार्टी हित में निर्णय ले सके । इसके लिए पूरे भारत में नेताओं से लेकर कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारी सुनिश्चित की गई कि उपयुक्त जगह का चयन कर पार्टी कार्यालय खोला जाए।
हिमाचल में उस समय पार्टी अध्यक्ष सतपाल सती जी थे उन्होंने भी ये जिम्मेदारी सभी लोगों को आगे दे दी जो जिस जिले में आगे था। उसी हिसाब से उन्ही लोगों को आगे कर भूमि चयन से लेकर उसकी रजिस्ट्री करने का दायित्व उन्हें दे दिया गया जो पार्टी के खासमखास थे। पर उन्हें क्या पता था जिनके कंधों पर उन्होंने ये भार दिया है अब वो कंधे राजनीतिक महत्वकांक्षा के आगे कमजोर पड़ चुके है। इसी का फायदा जिला सोलन में दीनानाथ ने उठाया और पार्टी को चुना लगाते हुए इसी जमीन को आगे किसी और को बेच दिया। बेची भी कितने में ये तो आप जानते ही होंगे। अगर नहीं जानते तो आपको बता दे ये जमीन 2016 में 90 लाख की भाजपा ने ली थी और 85 लाख एडवांस भी RTGS के माध्यम से दीनानाथ को दे दिया था। लेकिन इसमें रजिस्ट्री को लेकर पेच फंस गया और वो पेच था 118 की परमिशन का। क्योकि हिमाचल में निर्माण के लिए 118 के तहत सरकार से अनुमति लेनी होती है । भाजपा को भी अनुमति इसलिए लेनी पड़ी क्योकि भाजपा एग्रीकल्चरिस्ट तो है नही इसलिए उसे भी यहां पर निर्माण के लिए 118 के तहत अनुमति की जरूरत थी। जब 3 सालों के अंदर भी पार्टी को 118 की अनुमति नहीं मिली तो दीनानाथ ने एफिडेविट की मियाद खत्म होने के कारण उसे 26 लाख में बेच दिया।
इसकी भनक भी तब लगी जब भाजपा की केंद्र से टीम आने वाली थी जिसने पूरे हिमाचल में जमीन की हकीकत को जानने के लिए आना था। बस फिर क्या था जुट गया भाजपा का कुनबा अपनी जमीन को ढूंढने में। लेकिन उनके पैरों तले जमीन खिसक गई जब उन्हें पता चला जमीन तो अब है ही नही । ना तो कागजों में और ना ही धरातल में। इसके बाद आनन फानन में सोलन भाजपा ने नवनियुक्त प्रधान आशुतोष वैद्य ने एक एफआईआर दर्ज करवा दी। जिसमे 2 लोगो को पार्टी भी बनाया गया। जिसके बाद पुलिस ने भी जमीन मालिक को गिरफ्तार कर रिमांड भी ले लिया।
कहानी यहीं खत्म नहीं हुई इसके बाद जब मीडिया में रोज खबरें लगनी शुरू हुई तो अपने हिसाब से खबरों को मैनेज करने का भी दौर चला। कभी छोटी मछली को रगड़ने की तैयारी हुई तो कभी खुद इस जाल में फंसते नजर आए। मुख्यमंत्री से लेकर मंत्री के द्वार में हाजिरी लगनी शुरू हो गई लेकिन जब सफलता हाथ नही तो अब लोकल नेताओं के पास पहुंचकर चरणस्पर्श का दौर चल पड़ा। ये बात भी जब बंद कमरे से गलियारों में आ गई तो शिस्टाचार की बैठक बताकर हो सकता है इससे भी पाला झाड़ लिया जाए। लेकिन आज सोलन में ये बैठक राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय जरूर बन गई कि आखिर उन्हें इस मामले को लेकर पांव क्यों छुने पड गए।
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