बिजली दरें बढ़ीं तो हिमाचल में मुश्किल हो जाएगा उद्योग चलाना
हिमाचल प्रदेश के औद्याेगिक उपभोक्ताओं ने बिजली दरें नहीं बढ़ाने की मांग उठाते हुए शुल्क भी घटाने का आग्रह किया है। उद्योगपतियों ने दोटूक कहा कि अब बिजली दरें बढ़ती हैं तो हिमाचल में कारोबार करना मुश्किल हो जाएगा। सभी उद्योगपतियों ने एकमत होकर आयोग ने औद्योगिक उपभोक्ताओं के लिए बिजली दरें नहीं बढ़ाने की वकालत की। व्यावसायिक उपभोक्ताओं ने कहा कि उन्हें भी बहुत अधिक दरों पर बिजली दी जा रही है, और बढ़ोतरी होने से काम धंधा करना मुश्किल हो जाएगा।सोमवार को राज्य विद्युत विनियामक आयोग में हुई जनसुनवाई के दौरान औद्योगिक उपभोक्ताओं ने पड़ोसी राज्यों की तुलना में हिमाचल प्रदेश में पहले ही बिजली दरें अधिक होने का हवाला देते हुए राहत देने की मांग की।
व्यावसायिक उपभोक्ताओं ने भी दरों में बढ़ोतरी नहीं करने का पक्ष रखा। कुछ घरेलू उपभोक्ता भी जनसुनवाई में शामिल हुए। इन उपभोक्ताओं ने मिल्क सेस लगाकर दरें बढ़ाने पर आपत्ति जताई। उधर, जनसुनवाई के बाद अब विद्युत विनियामक आयोग मार्च में नई दरों को तय करेगा। एक अप्रैल 2025 से नई बिजली दरें लागू होंगी।राज्य विद्युत विनियामक आयोग में हुई जनसुनवाई के दौरान बड़ी संख्या में उद्योगपति शामिल हुए। उद्योगपतियों ने कहा कि बिजली शुल्क और अतिरिक्त उपकरों के कारण उद्योगों को भारी नुकसान हो रहा है। बिजली सब्सिडी को समाप्त करने के कारण उद्योगों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है, इससे उद्योगों को लाभ के नजरिये से अन्य राज्यों के साथ हिमाचल की प्रतिस्पर्धा खत्म हो गई है। सस्ती बिजली हिमाचल प्रदेश का मुख्य आकर्षण था, जिसने उद्योगों को यहां निवेश करने के लिए प्रेरित किया लेकिन हालिया टैरिफ बढ़ोतरी के कारण यह लाभ अब समाप्त हो गया है।
मिल्क और पर्यावरण सेस से भी पड़ा वित्तीय बोझ
उद्योगपतियों ने कहा कि बिजली दरों में बढ़ोतरी के साथ मिल्क सेस और पर्यावरण सेस से भी उद्योगों पर अतिरिक्त वित्तीय बोझ पड़ा है। अब हिमाचल प्रदेश बिजली दरों के मामले में पड़ोसी राज्यों की तुलना में महंगा हो गया है, जिससे कई उद्योग यहां काम जारी रखने को लेकर पुनर्विचार कर सकते हैं।