बच्चों के लिए परीक्षण में खरी उतरी स्वदेशी वैक्सीन, इमरजेंसी इस्तेमाल की मांगी मंजूरी

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कोरोना की तीसरी लहर की आशंका के बीच देश की एक और स्वदेशी वैक्सीन परीक्षण में खरी उतरी है। खास बात यह है कि जायकॉव-डी वैक्सीन 12 साल और इससे ज्यादा उम्र के बच्चों समेत सभी पर कारगर है। जायडस कैडिला कंपनी ने क्लीनिकल ट्रायल के बाद ड्रग्स कंट्रोलर जरनल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) से वैक्सीन के इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी मांगी है। कंपनी ने लाइसेंस के लिए आवेदन कर दिया है। इसके साथ ही कुछ औपचारिकताओं के बाद इस वैक्सीन को जल्द ही बाजार में उतारने की भी तैयारी है। 

सेंट्रल ड्रग्स लैबोरेटरी कसौली

जायकॉव-डी ने क्लीनिकल ट्रायल पास किए हैं। वैक्सीन को मान्यता देने वाली सेंट्रल ड्रग्स लैबोरेटरी  कसौली ने बाकायदा अपनी वेबसाइट में इसकी पुष्टि की है। कंपनी ने क्लीनिकल ट्रायल के लिए वैक्सीन के बैच कसौली भेजे थे। अब कंपनी डीसीजीआई से इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी मिलते ही वैक्सीन के पब्लिक बैच जांच के लिए दोबारा सेंट्रल ड्रग्स लैबोरेटरी भेजेगी।


यहां से अंतिम मंजूरी मिलने के बाद कंपनी तीसरी भारतीय वैक्सीन को बाजार में उतारेगी। सूत्रों के अनुसार विषय विशेषज्ञ समिति जल्द जायडस कैडिला द्वारा जमा किए गए डेटा के आधार पर अंतिम मंजूरी कुछ दिनों में दे सकती है। उल्लेखनीय है कि भारत में दो स्वदेशी वैक्सीन को-वैक्सीन, कोविशील्ड समेत रूसी वैक्सीन स्पुतनिक-वी को सीडीएल कसौली ने मान्यता दी है। सीडीएल कसौली से भारत में उत्पाद, आयात व निर्यात होने वाली वैक्सीन को मंजूरी मिलने के बाद ही बाजार में उतारा जाता है।

पहला टीका लगवाने के बाद 28वें दिन दूसरी और 56वें दिन लेनी होगी तीसरी डोज
जायकॉव-डी डीएनए आधारित वैक्सीन है। इसमें कोरोना वायरस का जेनेटिक कोड है जो टीका लगवाने वाले के शरीर में इम्यून सिस्टम को सक्रिय करता है। जायकॉव-डी तीन डोज वाला टीका है। पहला टीका लेने के 28वें दिन दूसरी और 56वें दिन तीसरी डोज लेनी होगी।

Vishal Verma

20 वर्षों के अनुभव के बाद एक सपना अपना नाम अपना काम । कभी पीटीसी चैनल से शुरू किया काम, मोबाईल से text message के जरिये खबर भेजना उसके बाद प्रिंट मीडिया में काम करना। कभी उतार-चड़ाव के दौर फिर खबरें अभी तक तो कभी सूर्या चैनल के साथ काम करना। अभी भी उसके लिए काम करना लेकिन अपने साथियों के साथ third eye today की शुरुआत जिसमें जो सही लगे वो लिखना कोई दवाब नहीं जो सही वो दर्शकों तक