प्रदेश में धू-धू जल रहे जं#गल, 24 घंटे में 97 घट#नाएं

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प्रदेश के जंगलों में आग लगने की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही है। पिछले 24 घंटे में ही आग लगने की 97 नई घटनाएं सामने आई है। गर्मियों के इस सीजन में 20 मई तक प्रदेश के 12 सर्किलों में आग की 503 घटनाएं दर्ज की गई हैं। प्रदेशभर में पिछले डेढ़ माह में इन आग की घटनाओं में 991.44 भूमि पर वन संपदा राख हो गई है। बढ़ते तापमान के साथ जंगलों में आग लगने की घटनाएं बढऩे लगी हैं। प्लांटेशन, प्राकृतिक और अन्य क्षेत्र में आग लगने से लाखों रुपए का नुकसान हुआ है। प्रदेश की बात करें तो सबसे ज्यादा धर्मशाला सर्किल में 140, हमीरपुर 97 घटनाओं के साथ दूसरे नंबर पर है।

वन विभाग के आंकड़ों के अनुसार 20 मई शाम तक बिलासपुर में 48, चंबा में 14, जीएचएनपी कुल्लू सर्किल में एक , मंडी में 79, नाहन में 71, रामपुर में नौ, शिमला में 17, सोलन में 46 और डब्ल्यूएल नॉर्थ में तीन घटनाएं जंगलों में दर्ज की गई हैं। चीड़ के जंगलों में जब फरवरी और मार्च में पत्तियां गिरती हैं, तो उनके नीचे फिर कुछ भी नहीं उगता है। वनों में आग से कई जानवर और पक्षी भी जलकर मर जाते हैं। पक्षियों के अंडे भी जल जाते हैं। इनका भी कोई रिकार्ड नहीं होता है। रिकार्ड में केवल वन संपदा आती है, जबकि बेशकीमती जड़ी-बूटियों का भी इसमें कोई आकलन नहीं होता है।

जंगलों तक नहीं पहुंच पा रही दमकल विभाग की गाड़ी

जंगलों की आग को बुझाने में सबसे बड़ी समस्या ये आ रही है कि सडक़ें न होने के कारण वहां तक गाड़ी नहीं पहुंच रही है। इसके अलावा जगह-जगह जंगलों में लगी आग को बुझाने के लिए कहां-कहां जाएं। ग्रामीण स्तर पर कमेटियां भी हैं, लेकिन जब जंगलों में आग लग रही है तो सब गायब है।

टोल फ्री नंबर

आग से वनों की सुरक्षा के प्रबंध तुरंत कार्रवाई प्रक्रिया का प्रावधान है। इसके साथ ही मार्च से जून तक फायर वाचर वन विभाग तैनात करता है। राज्य स्तर पर आपदा नियंत्रण कक्ष व टोल फ्री नंबर 1077 और जिलास्तर पर टोल फ्री नंबर 1070 है। आग से वनों की सुरक्षा के लिए स्कूल व कालेज स्तर पर जागरूकता कार्यक्रम होते हैं। फायर लाइन तैयार की जाती है। आग से सुरक्षा और आग लगने पर संदेश भेजे जाते हैं।

Vishal Verma

20 वर्षों के अनुभव के बाद एक सपना अपना नाम अपना काम । कभी पीटीसी चैनल से शुरू किया काम, मोबाईल से text message के जरिये खबर भेजना उसके बाद प्रिंट मीडिया में काम करना। कभी उतार-चड़ाव के दौर फिर खबरें अभी तक तो कभी सूर्या चैनल के साथ काम करना। अभी भी उसके लिए काम करना लेकिन अपने साथियों के साथ third eye today की शुरुआत जिसमें जो सही लगे वो लिखना कोई दवाब नहीं जो सही वो दर्शकों तक