Third Eye Today News

पिता को खोया, गरीबी से लड़ी…अब कोलकाता में गोल्ड जीतकर बनाया नेशनल रिकॉर्ड

Spread the love

कहते हैं कि अगर इरादे फौलादी हों, तो अभावों की चट्टानें भी रास्ता दे देती हैं। हिमाचल प्रदेश के चंबा जिला की बेटी सीमा ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि प्रतिभा किसी संसाधनों की मोहताज नहीं होती। कोलकाता में आयोजित विश्व स्तरीय एथलेटिक्स प्रतियोगिता में सीमा ने अपनी रफ्तार का जादू बिखेरते हुए स्वर्ण पदक (Gold Medal) अपने नाम कर लिया है। यह जीत इसलिए भी ऐतिहासिक है क्योंकि सीमा ने इसके साथ ही नया नेशनल रिकॉर्ड भी स्थापित किया है।

यह जीत केवल एक पदक तक सीमित नहीं है, बल्कि सीमा ने 25 किलोमीटर की इस चुनौतीपूर्ण दौड़ को मात्र 1:26:04 के रिकॉर्ड समय में पूरा कर एक नया राष्ट्रीय कीर्तिमान भी स्थापित कर दिया है।

इस ऐतिहासिक दौड़ के दौरान सीमा का आत्मविश्वास देखते ही बनता था। शुरुआत से ही उन्होंने अपनी गति को संतुलित रखा और अंतिम चरणों में अपनी रफ्तार बढ़ाते हुए प्रतिद्वंद्वियों को पीछे छोड़ दिया। यह उनकी कड़ी मेहनत का ही परिणाम है कि आज वे अंतरराष्ट्रीय स्तर की एक भरोसेमंद धाविका के रूप में उभरकर सामने आई हैं। इससे पूर्व भी उन्होंने साल 2025 में आयोजित वर्ल्ड यूनिवर्सिटी गेम्स में रजत पदक जीतकर अपनी प्रतिभा का संकेत दे दिया था, लेकिन कोलकाता की इस जीत ने उन्हें शिखर पर पहुंचा दिया है।

सीमा की यह स्वर्णिम सफलता उन तमाम संघर्षों का जवाब है जो उन्होंने अपने बचपन से झेले हैं। महज 12 वर्ष की अल्पायु में अपने पिता को खोने वाली सीमा के कंधों पर परिवार और अपनी पढ़ाई की भारी जिम्मेदारी आ गई थी। चंबा की पथरीली पहाड़ियों पर पशु चराने के दौरान ही उन्होंने दौड़ने का अभ्यास शुरू किया था। हैरानी की बात यह है कि उस समय उनके पास न तो दौड़ने के लिए जूते थे और न ही अभ्यास के लिए कोई आधुनिक ट्रैक, फिर भी उन्होंने नंगे पांव दौड़कर अपनी मेहनत और संकल्प को जारी रखा।

उनकी इस प्रेरणादायक यात्रा में उनकी माता की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण रही है। आर्थिक तंगी और विपरीत परिस्थितियों के बावजूद उनकी माँ ने सीमा के सपनों का गला नहीं घुटने दिया और हमेशा उनकी सबसे बड़ी ताकत बनी रहीं। सीमा की यह जीत आज उन करोड़ों युवाओं के लिए एक मिसाल है जो अभावों के कारण अपने सपनों को त्याग देते हैं। चंबा की पगडंडियों से शुरू हुआ यह सफर आज राष्ट्रीय रिकॉर्ड के गौरव तक पहुंच चुका है, जो यह साबित करता है कि सच्ची लगन के आगे कोई भी बाधा टिक नहीं सकती।

Vishal Verma

20 वर्षों के अनुभव के बाद एक सपना अपना नाम अपना काम । कभी पीटीसी चैनल से शुरू किया काम, मोबाईल से text message के जरिये खबर भेजना उसके बाद प्रिंट मीडिया में काम करना। कभी उतार-चड़ाव के दौर फिर खबरें अभी तक तो कभी सूर्या चैनल के साथ काम करना। अभी भी उसके लिए काम करना लेकिन अपने साथियों के साथ third eye today की शुरुआत जिसमें जो सही लगे वो लिखना कोई दवाब नहीं जो सही वो दर्शकों तक