परवाणू से सोलन तक फोरलेन पर क्रेट वायर से रोकेंगे पहाड़ों से गिरते पत्थर

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कालका-शिमला नेशनल हाईवे पांच पर परवाणू से शिमला तक क्रेट वायर का जाल बिछाकर पत्थर और मलबे को दरकने से रोका जाएगा। इसके लिए नेशनल हाईवे प्राधिकरण की ओर से एसआरएम कंपनी को टेंडर दिया गया है। कंपनी की ओर से 42 साइट जो अतिसंवेदन शील श्रेणी के पहाड़ है वहां पहाड़ को प्रोटेक्ट किया जाएगा। इससे बरसात और अन्य दिनों में लोगों को भूस्खलन से परेशान नहीं होना पड़ेगा। इसी के साथ लोगों की यात्रा भी सुगम हो सकेगी। अभी तक एसआरएम कंपनी ने 10 साइट पर काम शुरू कर दिया है।

अन्य साइट पर काम शुरू होगा
इसके बाद अन्य साइट पर काम शुरू होगा। कार्य के दौरान किसी भी प्रकार की सड़क को डायवर्ट भी नहीं किया गया है। हालांकि पहाड़ पर कार्य के दौरान भूस्खलन न हो इसे देखते हुए कुछ जगहों पर बेरिकेड लगाए गए हैं। इससे लेन में एकतरफा आवाजाही चली है। बताया जा रहा है कि इस तरह की तकनीक का प्रयोग परवाणू-पंचकूला हिमालयन एक्सप्रेस-वे पर किया गया है। इसके बाद मनाली और किन्नौर में भी क्रेट वायर से पहाड़ों का रोका गया है। अब तकनीक का प्रयोग हो रहा है।

सोलन तक फोरलेन का कार्य लगभग पूरा
गौर रहे कि परवाणू से सोलन तक पहले चरण में फोरलेन का कार्य लगभग पूरा हो चुका है। फोरलेन बनाने के लिए पहाड़ों की सीधी कटिंग से लोगों को परेशान होना पड़ रहा है। हाईवे से गुजरने वाले वाहन चालकों को पता नहीं लग पाता कि कब पहाड़ से पत्थर और मलबा सड़क पर आ जाए। पिछली बरसात में पहाड़ों ने खूब कोहराम मचाया था। इसे देखते हुए अब क्रेट वायर तकनीक का सहारा एनएचएआई ने लिया है। पहले पहाड़ों पर ड्रिलिंग की जा रही है। इसके बाद एंक्रिंग कर वायर क्रेट लगाई जाएगी।

ड्रोन से करवाया था सर्वे
पिछले वर्ष बरसात के बाद एनएचएआई की ओर से पहाड़ों का ड्रोन सर्वे करवाया गया था। इससे यह पता लगाया गया कि किस पहाड़ से अधिक भूस्खलन होता है। इसमें 42 पहाड़ों को चयनित किया गया। इसमें दत्यार, कोटी, जाबली, सनवारा, धर्मपुर, पट्टामोड़, कुमारहट्टी और बड़ोग बायपास, शमलेच टनल, शामती, दोहरी दीवार जगहों को चयनित किया है। यह बड़े ब्लैक स्पॉट बने हुए है। परवाणू से सोलन तक दो साल में पहाड़ों को प्रोटेक्ट किया जाएगा।वायर क्रेट का जाल बिछाकर पत्थर और मलबे को दरकने से रोका जाएगा। कई जगहों पर कार्य शुरू कर दिया गया है। कार्य के दौरान भूस्खलन का अंदेशा देखते हुए सड़क पर बेरिकेट्स लगाए गए हैं।
परवाणू से सोलन तक पहाड़ों को प्रोटेक्ट करने का कार्य शुरू कर दिया है। दो वर्ष में कंपनी को कार्य पूरा करने के लिए कहा है। 42 जगहों पर यह कार्य हो रहा है।

Vishal Verma

20 वर्षों के अनुभव के बाद एक सपना अपना नाम अपना काम । कभी पीटीसी चैनल से शुरू किया काम, मोबाईल से text message के जरिये खबर भेजना उसके बाद प्रिंट मीडिया में काम करना। कभी उतार-चड़ाव के दौर फिर खबरें अभी तक तो कभी सूर्या चैनल के साथ काम करना। अभी भी उसके लिए काम करना लेकिन अपने साथियों के साथ third eye today की शुरुआत जिसमें जो सही लगे वो लिखना कोई दवाब नहीं जो सही वो दर्शकों तक