पत्नी-बेटे संग खंडहरनुमा घर में रहने को मजबूर हैं पृथ्वी

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केंद्र व प्रदेश सरकार ने गरीबों के उत्थान के लिए कई योजनाएं चलाई हैं लेकिन योजनाएं धरातल पर किस तरह धराशायी हो रही हैं इसका अंदाजा धारटीधार क्षेत्र के एक परिवार की स्थिति को देखते ही लगाया जा सकता है। दशकों से यह परिवार गुरबत भरी जिंदगी जीने को मजबूर है। इस परिवार के पास कहने के लिए घर तो है, लेकिन छत नहीं।

पृथ्वी सिंह का खंडहरनुमा घर।

सिर छिपाने के लिए पत्थर से बनी चहारदीवारी को टीन और तिरपाल से ढका गया है। तीन सदस्यों का यह परिवार रोजी-रोटी के लिए भी तरस रहा है। कई बार आवास के लिए पंचायत में दरख्वास्त डाली गई। बावजूद इसके न घर मिला न ही अन्य कोई सुविधा। यहां बात हो रही है धारटीधार इलाके की पंजाहल पंचायत के काथला गांव में रहने वाले पृथ्वी की।  

पृथ्वी सिंह पुत्र सुंदर सिंह दशकों से गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहा है। उनके परिवार में पत्नी और एक बेटा है। पंजाहल पंचायत के काथला निवासी एवं सेवानिवृत्त खंड शिक्षा अधिकारी रामानंद ठाकुर ने बताया कि बीपीएल सर्वेक्षण वर्ष 2019-20 के अनुसार पृथ्वी सिंह गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले परिवार से संबंधित है। इससे पहले भी वह कई बार बीपीएल श्रेणी में दर्ज किया जा चुका है।

कई बार तूफान से उड़ चुकी छत, बारिश में गुजारनी पड़ीं रातें
रामानंद के अनुसार कई बार पृथ्वी सिंह ने पंचायत को अपनी स्थिति से अवगत करवाया है। बावजूद इसके पृथ्वी को आवास योजना का लाभ आज तक नहीं मिल पाया है। पृथ्वी सिंह का घर खंडहर से भी बदहाल है। टीन की छत को कई जगह तिरपाल से ढका गया है। कई बार उसके घर की छत तेज तूफान से उड़ चुकी है। कई बार रातें बारिश के बीच गुजारनी पड़ी हैं।

पंचायत प्रधान रेणु ने बताया कि पिछले साल हुए सर्वेक्षण में कई लोगों को आवास योजना में डाला गया है, जिसकी शेल्फ आनी अभी शेष है। बीडीओ अनूप शर्मा ने बताया कि इस बारे में कार्रवाई की जाएगी। पता लगाया जाएगा कि परिवार को योजना का लाभ अब तक क्यों नहीं मिल पाया है।

Vishal Verma

20 वर्षों के अनुभव के बाद एक सपना अपना नाम अपना काम । कभी पीटीसी चैनल से शुरू किया काम, मोबाईल से text message के जरिये खबर भेजना उसके बाद प्रिंट मीडिया में काम करना। कभी उतार-चड़ाव के दौर फिर खबरें अभी तक तो कभी सूर्या चैनल के साथ काम करना। अभी भी उसके लिए काम करना लेकिन अपने साथियों के साथ third eye today की शुरुआत जिसमें जो सही लगे वो लिखना कोई दवाब नहीं जो सही वो दर्शकों तक