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पंजाब कांग्रेस का घमासान, सिद्धू 72 दिन के प्रदेश अध्यक्ष, लिखा-पंजाब के भविष्य से समझौता नहीं करूंगा

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नवजोत सिद्धू।

पंजाब कांग्रेस में चल रहे घमासान के बीच मंगलवार को पार्टी प्रधान नवजोत सिद्धू ने 72 दिन बाद अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। कुछ दिन पहले ही पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अपने पद से इस्तीफा दिया था। इसके बाद चरणजीत चन्नी को मुख्यमंत्री बनाया गया था। उसके बाद से सिद्धू पर सुपर सीएम होने के आरोप लग रहे थे। 


मंगलवार को पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी के नाम संबोधित त्यागपत्र में सिद्धू ने लिखा कि समझौता करने से व्यक्ति का चरित्र खत्म हो जाता है। मैं पंजाब के भविष्य और पंजाब की जनता के कल्याण के एजेंडा से कभी समझौता नहीं कर सकता हूं। उन्होंने आगे लिखा, इसलिए मैं पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देता हूं। मैं कांग्रेस की सेवा करता रहूंगा।

पंजाब की राजनीति में उलटफेर जारी है। मंगलवार को पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह के गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात पर अटकलों का सिलसिला खत्म भी नहीं हुआ था कि नवजोत सिद्धू ने इस्तीफा देकर नया धमाका कर दिया। वहीं सूत्रों के अनुसार, सिद्धू इकबाल प्रीत सहोता को डीजीपी बनाए जाने से नाराज थे। 

आज पंजाब कांग्रेस जिस समस्या से जूझ रही है, उसकी शुरुआत 2017 चुनाव में पार्टी की जीत के साथ ही हुई थी। दरअसल नवजोत सिंह सिद्धू 2017 चुनाव से पहले कांग्रेस में शामिल हुए थे। बेबाक अंदाज वाले सिद्धू राहुल और प्रियंका वाड्रा की पसंद थे। पार्टी जीती तो सिद्धू को डिप्टी सीएम बनाने की चर्चाएं तेज हो गई। लेकिन जब कैप्टन सीएम बने तो उन्होंने साफ कर दिया कि पंजाब को डिप्टी सीएम की जरूरत नहीं है। राजनीति के जानकार मानते हैं कि अति महत्वाकांक्षी सिद्धू के लिए ये पहला झटका था और कैप्टन सिद्धू विवाद की शुरुआत यहीं से हो गई थी। 

नवजोत सिंह सिद्धू लंबे समय से कैप्टन अमरिंदर सिंह को सीएम पद से हटाने के लिए आतुर थे। अंत में वह पार्टी के भीतर कैप्टन के खिलाफ माहौल तैयार करने में कामयाब हो गए। कैप्टन अमरिंदर सिंह को मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ा। नवजोत सिंह सिद्धू को उम्मीद थी कि हाईकमान कैप्टन के विकल्प के रूप उन्हें सीएम के तौर पर पेश करेगी, लेकिन कांग्रेस विधायक दल की बैठक में पहले नंबर सुनील जाखड़ रहे। सुनील जाखड़ को सीएम बनाने के पक्ष में 40 विधायक थे, जबकि रंधावा को सीएम बनाने के पक्ष में 20 विधायक थे। सिद्धू को मात्र 12 विधायकों का ही समर्थन मिला। 

सिद्धू की नाराजगी के छह कारण

1.  राणा गुरजीत सिंह को नवजोत सिंह सिद्धू के विरोध के बावजूद मंत्री बनाना

2.   सुखजिंदर रंधावा को गृह विभाग देना

3.   एपीएस देयोल को एडवोकेट जनरल

4. कुलजीत नागरा को मंत्रिमंडल में शामिल न करना

5. मंत्रिमंडल के गठन ओर मंत्रियों के पोर्टफोलियो बंटवारे में सिद्धू की राय न लिए जाना

6. सीएम न बनाए जाने से नाराजगी

 

Vishal Verma

20 वर्षों के अनुभव के बाद एक सपना अपना नाम अपना काम । कभी पीटीसी चैनल से शुरू किया काम, मोबाईल से text message के जरिये खबर भेजना उसके बाद प्रिंट मीडिया में काम करना। कभी उतार-चड़ाव के दौर फिर खबरें अभी तक तो कभी सूर्या चैनल के साथ काम करना। अभी भी उसके लिए काम करना लेकिन अपने साथियों के साथ third eye today की शुरुआत जिसमें जो सही लगे वो लिखना कोई दवाब नहीं जो सही वो दर्शकों तक