नौणी विवि में पार्थिनियम उन्मूलन अभियान का किया आयोजन

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डॉ यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी में आज पार्थिनियम उन्मूलन अभियान का दूसरा चरण आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम को विश्वविद्यालय के पर्यावरण विज्ञान विभाग ने आईडीपी परियोजना के सहयोग से स्वच्छ भारत अभियान के तहत आयोजित किया। आयोजन का उद्देश्य पार्थिनीयम जिसे गाजर घास के नाम से भी जाना जाता है और एक विषैली खरपतवार है, के बारे में जागरूकता लाना था। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के अधिकारियों, संकाय और छात्रों ने इस अभियान में भाग लिया। अपने संबोधन में नौणी विवि के कुलपति प्रोफेसर राजेश्वर सिंह चंदेल ने कहा कि विश्वविद्यालय के छात्रों और कर्मचारियों को एक जिम्मेदार नागरिक के रूप में अपने कर्तव्यों को पहचानने और सामाजिक कार्यक्रमों में खुद को शामिल करते हुए देखकर खुशी हुई। उन्होंने कहा कि पार्थेनियम अब जैव विविधता के लिए खतरा बन गया है और सभी से इस अभियान को पूरे वर्ष जारी रखने का आग्रह किया। उन्होंने जैव विविधता और कृषि उत्पादन पर पार्थेनियम के प्रभाव के बारे में भी बताया। 

अनुसंधान निदेशक डॉ. संजीव कुमार चौहान ने विश्वविद्यालय के छात्रों से इस खरपतवार के बारे में जागरूकता फैलाने और परिसर एवं आसपास के क्षेत्रों से इस खरपतवार का पूर्ण उन्मूलन सुनिश्चित करने का आग्रह किया। पर्यावरण विज्ञान विभाग के प्रोफेसर और हैड डॉ. एसके भारद्वाज ने कार्यक्रम और पार्थेनियम खरपतवार के उन्मूलन की आवश्यकता के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि परिसर में किए गए पार्थेनियम उन्मूलन का यह दूसरा चरण है। पहला चरण फूल आने से पहले जुलाई के महीने में किया गया था। दूसरे चरण में जो नए पौधे उग आए हैं उन्हें निकाला गया। कार्यक्रम के समन्वयक डॉ. एमएस झांगड़ा ने अभियान में भाग लेने वाले 900 से अधिक प्रतिभागियों का धन्यवाद किया। इस अभियान में कर्मचारियों और छात्रों को पाँच टीमों में बांटा गया। प्रत्येक समूह को विश्वविद्यालय के विभिन्न क्षेत्रों से पार्थिनियम हटाने का कार्य सौंपा गया। फील्ड गाइड और ग्रुप लीडर के सतर्क देखरेख में यह अभियान पूरा किया गया जिसके बाद इस खरपतवार का उचित तरीके से निपटारा किया गया। पार्थिनियम से एलर्जी श्वसन और त्वचा रोग जैसी समस्याओं होती है। इस खरपतवार के आक्रामक विकास के कारण, यह फसल उत्पादन में कमी का कारण बनती है और जैव विविधता पर प्रभाव डालती है।

Vishal Verma

20 वर्षों के अनुभव के बाद एक सपना अपना नाम अपना काम । कभी पीटीसी चैनल से शुरू किया काम, मोबाईल से text message के जरिये खबर भेजना उसके बाद प्रिंट मीडिया में काम करना। कभी उतार-चड़ाव के दौर फिर खबरें अभी तक तो कभी सूर्या चैनल के साथ काम करना। अभी भी उसके लिए काम करना लेकिन अपने साथियों के साथ third eye today की शुरुआत जिसमें जो सही लगे वो लिखना कोई दवाब नहीं जो सही वो दर्शकों तक