नहीं रहे सोलन के राजन शर्मा, कोरोना से हारे जंग

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सोलन के राजन शर्मा का आज देहांत हो गया। सोलन से पढ़ाई करने के बाद वो देश की प्रतिष्ठित कोक कंपनी में काम करते थे। जब भारत में कोक आया तो एक एक कोक की क्रेट को खुद दुकानों में बेचने के लिए जाते थे। जबकि उस समय वो हिमाचल के हेड थे। लोग शुरू में कोक लेना पसंद नही करते थे लेकिन उन्होंने कंपनी के लिए दिन रात काम किया और आज वो उत्तरप्रदेश में इसी कंपनी में बतौर जनरल मैनेजर काम कर रहे थे। इतने बड़े राज्य में इस पद तक पहुंचना उनकी मेहनत को दर्शाता है।

लेकिन आज राजन शर्मा लखनऊ में कोरोना से अपनी जंग हार गए और हम सबको अलविदा कह गए। अपने पीछे वो अपनी माता , पत्नी व 2 बेटियों को छोड़ गए।

हंसमुख स्वभाव के राजन भाई की कमी हमेशा हमें खलेगी।

उनसे मिलना बचपन से ही था और जब मैं जाबली के होटल कैफ़े ब्रिज में काम करता था तब उन्होंने कोक कंपनी में काम।करते थे। ये बिल्कुल उनके व मेरे काम का शुरुआती दौर था। मैंने तब उन्हें एक एक क्रेट हाथ में उठाये देखा था और उस समय उन्होंने मुझे कंपनी का डिस्पेंसर लगाने के लिए कहा था। उनके कहने पर मैंने अपने प्रबंधन से बात की थी और उसके बाद उस होटल में हमने कोक का डिस्पेंसर लगाया। उन्होंने मुझे रामपुर, रोहड़ू जैसी जगह में कोक की एजेंसी लेने को कहा पर मैनें मना कर दिया। उन्होंने उस समय ही कहा था तुम पछताओगे क्योकि अभी तो कोई एजेंसी नही ले रहा है लेकिन आने वाला समय इसका होगा। आज सही में कोक जैसी कंपनी को कोई भी लेने को तैयार रहता है लेकिन उस समय हम भी इसकी कीमत को नहीं पहचाने।

दूसरा जब हम पत्रकारिता के क्षेत्र में आए तो जो आज इंग्लिश लिखकर हिंदी आ जाती है वो सोलन जैसी जगह में भी किसी को नहीं आती थी। सोशल मीडिया में ज्यादातर aaj kya kar rahe ho ऐसे ही हिंदी को लिखते थे। सोशल मीडिया में खबरे भी हम ऐसे ही डालते थे। तब एक बार उन्होंने मुझे कहा हिंदी में क्यों नही लिखते हो। मैंने कहा भाई कोई महंगा सॉफ्टवेयर होगा और हमारे पास इतने पैसे नही की सॉफ्टवेयर खरीद सके। तब उन्होंने मुझे फ़ोन किया और बताया कि सॉफ्टवेयर की कोई जरूरत नही बस गूगल से tranliteration में जाओ और वहां पर इंगलिश में लिखते रहो हिंदी खुद टाइप हो जाएगी।

जब मैंने हिंदी लिखनी शुरू की तो मुझे अच्छी तरह याद है जब कोई भी पत्रकार भाई भी पूछता था कि हिंदी कैसे लिखते हो तो हम भी रॉब जमाते हुए बोलते थे सॉफ्टवेयर खरीदा है।

सोलन से जाने के बाद भी उनके साथ बहुत समय तक उनके संपर्क मे रहा लेकिन बहुत वर्षों से उनसे संपर्क भी नही हुआ।

आज उनकी एक एक बाद याद आती है। जैसे ही उनके प्रिय दोस्त रोहित सबलोक जी से इसकी जानकारी मिली तो बहुत दुख हुआ। रोहित सबलोक, श्याम सिंगला, विकास दत्ता, कमल विग व संजय गुप्ता आज ही यहां से लखनऊ जा रहे है जहां उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।

राजन भाई आप बेशक दुनिया को छोड़ गए लेकिन आप हमेशा हमारे दिल में रहेंगे।

————विशाल वर्मा———-

Vishal Verma

20 वर्षों के अनुभव के बाद एक सपना अपना नाम अपना काम । कभी पीटीसी चैनल से शुरू किया काम, मोबाईल से text message के जरिये खबर भेजना उसके बाद प्रिंट मीडिया में काम करना। कभी उतार-चड़ाव के दौर फिर खबरें अभी तक तो कभी सूर्या चैनल के साथ काम करना। अभी भी उसके लिए काम करना लेकिन अपने साथियों के साथ third eye today की शुरुआत जिसमें जो सही लगे वो लिखना कोई दवाब नहीं जो सही वो दर्शकों तक