धर्मशाला से भी अच्छी पर्यटन नगरी शिमला और मनाली की हवा, दौड़े आ रहे सैलानी

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हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला की हवा मनाली और धर्मशाला से भी अच्छी है, इसलिए पर पर्यटक भी दौड़े-दौड़े आ रहे हैं। शनिवार को शिमला में एयर क्वालिटी इंडेक्स यानी एक्यूई 24 रहा तो मनाली में यह 45 और धर्मशाला में 52 मापा गया। हिमाचल प्रदेश में बद्दी की हवा सबसे ज्यादा दूषित है। यहां पर वायु गुणवत्ता सूचकांक 163 पहुंच गया है। देश की राजधानी नई दिल्ली में तो यह 400 से ऊपर चला गया है। दिवाली में तो यह इससे भी ऊपर चढ़ेगा।

दिल्ली सहित देश के कई अन्य क्षेत्रों में जहां लोगों का सांस लेना मुश्किल हो गया है, वहीं यह हिमाचल प्रदेश के लोगों के लिए राहत की बात है। बरसात में भारी बारिश से आपदा के बाद यहां पर्यटन कारोबार चौपट हो गया था। अब इससे फिर इस व्यवसाय को गति मिल सकती है। मैदानों में लोग सांस नहीं ले पा रहे हैं। बुजुर्गों और सांस के मरीजों को बड़ी परेशानी हो रही है। ऐसे लोगों के लिए हिमाचल प्रदेश की आबोहवा संजीवनी है। शनिवार को परवाणू का 49, सुंदरनगर, डमटाल का एक्यूआई 51, कालाअंब का 61, नालागढ़ का 69, ऊना का 70, पांवटा साहिब का 82 और बरोटीवाला का 89 रहा। यह 50 से नीचे अच्छा, 51 से 100 के बीच संतोषजनक, 101 से 200 के बीच मध्यम, 201 से 300 के बीच कमजोर, 301 से 400 के बीच बहुत कमजोर और 401 से ऊपर गंभीर आंका जाता है।

हिमाचल प्रदेश में वायुमंडलीय प्रदूषण रोकने के लिए मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना ने 8 नवंबर को राज्य सचिवालय में एक बैठक बुलाई है। इसमें राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड राज्य की वस्तुस्थिति को स्पष्ट करेगा। इस बैठक में भी प्रदूषण नियंत्रण उपायों को और अधिक कारगर बनाने पर मंत्रणा होगी।

हिमाचल प्रदेश में अच्छा ग्रीन कवर है। नया पौधरोपण भी होता है तो इसका लाभ होता है। यहां पर निर्माण गतिविधियों के दौरान भी ज्यादा धूल नहीं उड़ती है। साथ-साथ स्प्रिंकलिंग की जाती है। यहां पर जंगलों की आग का नियंत्रण भी अच्छा है। सबसे ज्यादा प्रदूषण स्टील और सीमेंट के उद्योग फैलाते हैं। इनकी निगरानी सख्ती से की जा रही है। धान की पराली को जलाने के मामले भी यहां बहुत ज्यादा नहीं हैं। परवाणू और कालाअंब जैसे औद्योगिक क्षेत्रों की स्थिति देश में बहुत अच्छी है। 

Vishal Verma

20 वर्षों के अनुभव के बाद एक सपना अपना नाम अपना काम । कभी पीटीसी चैनल से शुरू किया काम, मोबाईल से text message के जरिये खबर भेजना उसके बाद प्रिंट मीडिया में काम करना। कभी उतार-चड़ाव के दौर फिर खबरें अभी तक तो कभी सूर्या चैनल के साथ काम करना। अभी भी उसके लिए काम करना लेकिन अपने साथियों के साथ third eye today की शुरुआत जिसमें जो सही लगे वो लिखना कोई दवाब नहीं जो सही वो दर्शकों तक