भाजपा जमीन मामले में रात को ही क्यों हो रही बैठकें, कौन बचा रहें है अपने आपको? कल आपको इस शीर्षक के साथ इस मामले की कुछ जानकारी देने की कोशिश की गई थी। जिसमें बताया गया था कि कभी छोटी मछली को रगड़ने की तैयारी हुई तो कभी खुद इस जाल में कुछ नेता फंसते नजर आए। मुख्यमंत्री से लेकर मंत्री के द्वार में हाजिरी लगनी शुरू हो गई लेकिन जब सफलता हाथ नही तो अब लोकल नेताओं के पास पहुंचकर चरणस्पर्श का दौर चल पड़ा। इससे आगे की पठकथा में आज पाठकों को हम दीनानाथ के बारे में बताएंगे जो पूरी फिल्म का सूत्रधार है। दीनानाथ इस फिल्म में कभी हीरो की भूमिका में था लेकिन आज वो विलेन बनकर सबके सामने है। कोई उसे नटवर लाल तो कोई उसे मास्टरमाइंड बता रहा है। ये वही दीनानाथ है जिसके साथ भाजपा ने शमलेच के पास अपना कार्यालय बनाने के लिए उसके साथ 2016 में 90 लाख रुपए में सौदा किया था। तब बयाने के तौर पर सोलन के बघाट बैंक के खाते में 35 लाख रुपए जमा किए गए थे। जबकि पार्टी ने 27 मार्च 2017 को उसी के खाते में 50 लाख रुपए और जमा कर दिए थे और उस समय तय हुआ कि शेष राशि का भुगतान जमीन की रजिस्ट्री होने पर किया जाएगा।
क्या आपको पता है कभी दीनानाथ भी पुलिस की वर्दी पहने हुआ करता था। हर रोज पुलिस में जाकर अपनी डयूटी बजाता था और बड़ी शिद्दत से अपना काम भी करता था। पुलिस में वो वायरलेस विंग में था। कभी सिपाही के पद से अपनी नौकरी शुरू करने वाले दीनानाथ ने जब पुलिस को अलविदा कहा तब तक वो एएसआई(A.S.I.) बन चुका था। पुलिस की नौकरी को उसने करीब 10 साल पहले बाय-बाय कर दिया व वीआरएस (वॉलेंटरी रिटायरमेंट यानी स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति) ले ली। उसके बाद वो अलग-अलग काम करने लग गया। जैसा कि दीनानाथ ने मीडिया को बताया कि वो कन्स्ट्रकशन का काम करता था व उसके अलावा स्क्रेब(कबाड़) का भी काम करता था। जिसमें उसे काफी नुकसान उठाना पड़ा। करीब 2 करोड़ 36 लाख के स्क्रेब लेनदेन के चलते उसे भारी नुकसान उठाना पड़ा और वो आर्थिक रूप से कमजोर हो गया। लेकिन सोचने वाली बात है कि दीनानाथ करोड़ों मालिक कैसे बन गया? क्या वो रिटर्न में भी इन पैसों को दर्शाता था ? करोड़ों की नगदी इतने समय में उसके पास कहां से आ गई, ये सब तो जांच का विषय है। लेकिन दीनानाथ की माने तो उसके नाम तो सिर्फ जमीन की रजिस्ट्री ही थी वो सिर्फ कागजों में ही जमीन का मालिक था बाकि तो उस जमीन का मालिकाना हक किसी और का था। उसकी मानी जाए तो उसे सिर्फ मोहरा बनाया जा रहा है जबकि इस जमीन में पैसा भी उसके भाई व उसके कुछ साथियों ने ही लगाया था। यही कारण है कि जितने पैसे उसके खाते में आए उसने वो पैसे बघाट बैंक परवाणु में अपने भाई महेंद्र के खाते में ट्रांसफर कर दिए। उसने माना कि धारा-118 की अनुमति न मिलने के कारण जमीन की रजिस्ट्री नहीं हो सकी और किया हुआ 3 साल का एग्रीमेंट भी खत्म हो गया और उसने वो जमीन आगे बेच दी। दीनानाथ ने बताया कि वो उस जमीन को बेचना नहीं चाहता था लेकिन जिसे उसने जमीन बेची उसने उस परिवार से 22 लाख रूपए उधार लिए थे। जिसमे से 10 लाख SBI बैंक के खाते से जबकि 12 लाख नगद उसे दिए गए थे। यही कारण था कि उस पर जमीन को बेचने का दवाब डाला जाने लगा और उसने वो जमीन 26 लाख में बेच दी। जबकि जो जमीन कभी 2016 में 90 लाख की बिकी थी आज वो इतने कम में कैसे उसने किसी और को बेच दी ये भी जांच का विषय है। जबकि जानकारों की माने तो सौदा ये भी मोटा हुआ है सिर्फ कागजों में ही थोड़े अमाउंट का बताया जा रहा है। लेकिन जो बातें दीनानाथ बता रहा है उनपर क्या कार्रवाई हुई है इसका खुलासा तो पुलिस की पड़ताल के बाद होगा, लेकिन इस कहानी में अभी ट्विस्ट और भी है। अब दीनानाथ उसी पुलिस के गिरफ्त में है जहां कभी खुद नौकरी किया करता था।
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