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तिब्बत में एलएसी के पास रेल लाइन बना रहा चीन, भारत के लिए मुसीबत

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तिब्बती विशेषज्ञों का कहना है कि यह रेल मार्ग चीन की सैन्य आवाजाही और रसद क्षमता को काफी बढ़ा देगा। इस रेल लाइन के पांच साल में पूरी होने की उम्मीद है। यह बीजिंग के 5,000 किलोमीटर लंबे पठारी रेल नेटवर्क के विस्तार का हिस्सा है।

चीन ने तिब्बत से ल्हासा को जोड़ने वाली रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण नई रेल लाइन का निर्माण शुरू कर दिया है। यह रेल लाइन वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के बेहद नजदीक से गुजरेगी। इस परियोजना ने भारत के लिए नई सैन्य और सुरक्षा चिंताएं खड़ी कर दी हैं।
तिब्बती विशेषज्ञों का कहना है कि यह रेल मार्ग चीन की सैन्य आवाजाही और रसद क्षमता को काफी बढ़ा देगा। इस रेल लाइन के पांच साल में पूरी होने की उम्मीद है। यह बीजिंग के 5,000 किलोमीटर लंबे पठारी रेल नेटवर्क के विस्तार का हिस्सा है। यह क्षेत्र खास तौर पर संवेदनशील है, क्योंकि अक्साई चिन में सीमा को लेकर भारत-चीन के बीच विवाद है।तिब्बत पॉलिसी इंस्टीट्यूट के शोधकर्ता त्सेवांग दोरजे ने कहा, चीन सीमा के पास रेल और हाईवे निर्माण को हाल के सुरक्षा घटनाक्रमों से जोड़कर देख रहा है। अरुणाचल प्रदेश की दिशा में जहां चीन जल संसाधनों को नियंत्रण में लेना चाहता है। अब लद्दाख, हिमाचल और उत्तराखंड के पास नई रेल लाइन बना रहा है। दोरजे के मुताबिक, नागचू से नगारी के बीच बनने वाला हाईवे भी चीन की सैन्य गतिशीलता को बढ़ाएगा।

हिमालय के समानांतर रेल लाइन
तिब्बती लेखक व कार्यकर्ता तेनजिन त्सुंदे ने कहा, यह चीन की सबसे महत्वाकांक्षी और उकसाने वाली परियोजनाओं में से एक है। यह रेल शिगात्से से होकर कैलाश पर्वत और नगारी के पास से गुजरेगी। कुछ हिस्से लद्दाख के देमचोक क्षेत्र से महज 20–30 किलोमीटर दूर होंगे।

 

Vishal Verma

20 वर्षों के अनुभव के बाद एक सपना अपना नाम अपना काम । कभी पीटीसी चैनल से शुरू किया काम, मोबाईल से text message के जरिये खबर भेजना उसके बाद प्रिंट मीडिया में काम करना। कभी उतार-चड़ाव के दौर फिर खबरें अभी तक तो कभी सूर्या चैनल के साथ काम करना। अभी भी उसके लिए काम करना लेकिन अपने साथियों के साथ third eye today की शुरुआत जिसमें जो सही लगे वो लिखना कोई दवाब नहीं जो सही वो दर्शकों तक