डेढ़ महीने में खराब हो गया CM का नया उड़नखटोला

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सीएम के लिए रशिया से दिल्ली पहुंचा नया उड़नखटोला, किराया 5.10 लाख प्रति घंटा

हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के लिए किराए पर रशिया से लिया गया अत्याधुनिक उड़नखटोला डेढ़ माह के भीतर ही खराब हो गया है। मौजूदा समय में यह उड़नखटोला राजधानी शिमला के अनाडेल मैदान में खड़ा है। रशिया से तकनीकी विशेषज्ञों की एक टीम इसे ठीक करने शिमला आएगी। रशिया की स्काई वन कम्पनी ने अब छोटा उड़नखटोला मुख्यमंत्री के लिए भेजा है। बुधवार को मुख्यमंत्री इसी छोटे उड़नखटोला से दिल्ली रवाना हुए। 

बताते चलें कि रशिया की स्काई वन कम्पनी ने पिछले महीने ही नया उड़नखटोला शिमला भेजा था। पहली अगस्त से उड़नखटोला का यहां इस्तेमाल शुरू हो गया था। हिमाचल पहुंचते ही लाहौल-स्पीति जिले में बाढ़ में फंसे लोगों को निकालने के लिए इसका इस्तेमाल किया गया था। इस 24 सीटर उड़नखटोला का प्रति घंटे का किराया 5.10 लाख रुपये है। डीजीसीए से टेस्ट ड्राइव के बाद ग्रीन सिग्नल मिलने के बाद ये उड़नखटोला प्रदेश सरकार के सुपर्द किया गया था।

कई खूबियों से लैस इस अत्याधुनिक उड़नखटोला के मात्र 37 दिन में खराब हो जाना हैरत में डाल रहा है। पहाड़ी इलाकों में सारे परीक्षणों में खरा उतरने के बाद ही इस मंहगे हेलिकॉप्टर को सरकार ने लेने की जहमत उठाई थी। इससे पहले मुख्यमंत्री पवन हंस कंपनी का उड़नखटोला इस्तेमाल करते थे। लेकिन इसके बार-बार खराब होने के कारण सरकार ने आधुनिक नया उड़नखटोला किराए पर लेने का निर्णय लिया था।

 

सूबे की खस्ता आर्थिक हालत के बीच 5.10 लाख प्रति घण्टा किराए पर उड़नखटोला लेने पर विपक्ष ने प्रदेश सरकार की जमकर घेराबंदी की थी। कांग्रेस ने इस नए उड़नखटोला को लीज पर लेने पर जयराम सरकार को निशाने पर लेते हुए कहा था कि कोविड काल में इस तरह के अनावश्यक खर्च को करने की जरूरत नहीं थी। बाद में संसदीय कार्य मंत्री सुरेश भारद्वाज ने तो प्रेस वार्ता कर सफाई दी थी कि पवन हंस कंपनी का इससे पहले वाला उड़नखटोला पुराना हो गया था। उनका कहना था कि यह एक दिन आता था और डेढ़ महीने मरम्मत में रहता था। पहले वाले उड़नखटोला में चार लोग ही सफर कर पाते थे, जबकि इसमें काफी लोग सफर कर पाएंगे।

Vishal Verma

20 वर्षों के अनुभव के बाद एक सपना अपना नाम अपना काम । कभी पीटीसी चैनल से शुरू किया काम, मोबाईल से text message के जरिये खबर भेजना उसके बाद प्रिंट मीडिया में काम करना। कभी उतार-चड़ाव के दौर फिर खबरें अभी तक तो कभी सूर्या चैनल के साथ काम करना। अभी भी उसके लिए काम करना लेकिन अपने साथियों के साथ third eye today की शुरुआत जिसमें जो सही लगे वो लिखना कोई दवाब नहीं जो सही वो दर्शकों तक