डाक विभाग ने स्पिति के चार पर्यटक स्थलों के स्थायी सचित्र रददीकरण किए जारी
भारतीय डाक विभाग के रामपुर डाक मंडल ने मंगलवार को विशेष कार्यक्रम का आयोजन कान्फ्रेंस हाॅल काजा के सभागार में किया। इस मौके पर स्पिति के चार पर्यटक स्थलों पर स्थायी सचित्र रददीकरण जारी किए गए। इस कार्यक्रम में दिनेश मिस्त्री डायरेक्टर पोस्टल सर्विस हिमाचल सर्किल ने बतौर मुख्यातिथि शिरकत की। इसके अलावा एडीसी अभिषेक वर्मा ने बतौर विश्ष्ठि अतिथि शिरकत की। मुख्यातिथि दिनेश कुमार मिस्त्री को अधीक्षक डाक मंडल रामपुर सुधीर चंद ने टोपी व शाॅल देकर सम्मानित किया इसके अलावा कीह और ताबो गोम्पा के लामाओं को भी सम्मानित किया। अधीक्षक डाक मंडल रामुपर मंडल सुधीर चंद ने मुख्यातिथि व अन्य अतिथियों को स्वागत किया और कार्यक्रम के बारे में संक्षिप्त जानकारी।
मुख्यातिथि दिनेश कुमार मिस्त्री डायरेक्टर पोस्टल सर्विस हिमाचल सर्किल की अध्यक्षता में चार स्थायी सचित्र रददीकरण जारी किए । इनमें ऐतिहासिक बौद्ध मठ ताबो, ऐतिहासिक बौद्ध मठ कीह, चिचिम पुल और हिक्किम डाकघर पर स्थायी सचित्र रददीकरण शामिल है। मुख्यातिथि व अन्य अतिथियों ने इस मौके पर उक्त सचित्रों के एलवम का भी अनावरण किया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए विश्ष्ठि अतिथि एडीसी काजा अभिषेक वर्मा ने कहा कि हमारे स्पिति के लिए पर्यटन की दृष्टि से स्थायी सचित्र रददीकरण काफी मील का पत्थर साबित होगा। यहां लाखों पर्यटक घूमने आते है। ऐसे में यहां से होने वाले पत्राचार पर अब स्थायी सचित्र में ताबो, कीह, चिचिम पुल और हिक्किम डाकघर के सचित्र होंगे तो पर्यटन को नए पंख लगेंगे। उन्होंने कहा कि एक ही क्षेत्र से चार स्थायी सचित्र एक साथ जारी होना हमारे लिए गर्व की बात है। प्रदेश और केंद्र सरकार की कई योजनाओं को जमीनी स्तर पर पहुंचाने का कार्य डाक विभाग कर रहा है। उन्होंने डाक विभाग के सभी अधिकारियों और स्टाफ को बधाई दी। वहीं कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यातिथि दिनेश कुमार मिस्त्री डायरेक्टर पोस्टल सर्विस हिमाचल सर्किल ने कहा कि डाक विभाग सरकार की योजनाओं को घर घर तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाता आया है। स्पिति में डाक विभाग की सेवाएं लोगों को देश के अन्य हिस्सों से जोड़े हुए है। स्थायी सचित्र रददीकरण से यहां के पर्यटन कारोबार में काफी मदद करेगा। वहीं यहां के चारों पर्यटक स्थलों को ओर अधिक पहचान दिलाएगा। कार्यक्रम में वीडियो कान्फेंस के माध्यम से फिलेटलिस्ट डा मेजर रीता कालरा ने भी विचार रखे। वही चीफ पोस्ट मास्टर जनरल मीरा रंजन शेरिंग ने कहा कि स्पिति के चार पर्यटक स्थलों के स्थायी सचित्र रददीकरण काफी महत्वपूर्ण है। दुनिया भर में इन स्थानों की अपनी महत्ता है। इस मौके पर डाक विभाग का स्टाफ, सभी पंचायतों के प्रतिनिधि विशेष तौर पर मौजूद रहे।
डाक विभाग द्वारा ऐसे स्थानों का स्थायी रददीकरण जारी किया जाता है जोकि काफी महत्वपूर्ण होते है। यह एक पोस्टमार्क है। जोकि एक पर्यटक, धार्मिक, ऐतिहासिक महत्वपूर्ण स्थान का डिजाईन या चित्र दिखाता है। इस प्रकारण के रददीकरण मुख्य रूप से पर्यटक रूचि के स्थानों को व्यापक प्रचार देता है और उन्हें डाकघरों में प्रदान किया जाता है। स्पिति घाटी के चार स्थानों के स्थायी सचित्र रद्दीकरण जारी हुए है। जोकि निम्न है।
चिचिम पुल
लाहुल स्पिति के चिचिम गांव को जोड़ने वाला यह पुल 14 हजार फीट की उंचाई पर स्थित है। इस पुल को बनने में करीब 16 साल लगे है। काजा से चिचिम के बीच पहले 60 किलोमीटर की दूरी थी। लेकिन चिचिम पुल बनने से दूरी 25 किलोमीटर कम हो गई है। 4 सिंतबर 2017 को इसे वाहनों के लिए खोला गया था। ये एशिया का सबसे उंचाई पर बना रोड़ ब्रिज है।
स्पिति के हिक्किम गांव में स्थित डाकघर दुनिया का सबसे उंचा डाकघर है। जोकि 14567 फीट यानि 4440 मीटर की उंचाई है। यहां पर आक्सीजन भी कम होती है। यहां पर वर्ष 1983 से दूर दराज के दुर्गम गांवों तक सुविधाएं पहुंचा रहा है । यह डाकघर पर्यटकों की पहली पंसद है । हर साल हजारों पर्यटक यहां से अपने प्रियजनों को पत्र भेजते है।
काजा से 12 किलोमीटर की दूरी स्थित कीह बौद्ध मठ ऐतिहासिक बौद्ध मठों में से एक है। इस मठ की स्थापना 13 वीं शताब्दी में हुई है। ये स्पिति क्षेत्र का सबसे बड़ा बौद्ध मठ है। यह मठ दूर से लेह में स्थित थिकसे मठ जैसा लगता है यह मठ समुद्रतल से 13504 फीट की उंचाइ पर एक शंक्वाकार चटटान पर निर्मित है। स्थानीय लोगों का मानना है कि इसे रिंगछेन संगपो ने बनवाया था। यह मठ महायान बौद्ध के गेलूपा संप्रदाय से संबधित है।इस मठ पर 19 वीं सदी में सिखों व डोगरा राजाओं ने हमला किया । 1975 में आए भूंकप में यह मठ सुरक्षित रहा था। यहां प्रत्येक वर्ष जून जुलाई महीने में छम उत्सव मनाया जाता है।
स्पिति के ताबो में 10 हजार फीट की उंचाई पर स्थित यह बौद्ध मठ मिटटी का बना है। दुनिया के सबसे पुराने मठों में से एक है। यह भारत और हिमालय का सबसे पुराना बौद्ध मठ है, जो अपनी स्थापना 996 ई के बाद लगातार काम रहा है । यह आकर्षक मठ हिमालय के अंजता के रूप में प्रसिद्ध है । ऐसा इसलिए कहा जाता है कि क्योंकि इस मठ की दीवारों पपर अंजमता की गुफाओ की तरह आकर्षक भिति चित्र और प्राचीन चित्र बने हुए है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षणने इसके रखरखाव और संरक्षण की जिम्मेदारी संभाली है ।