राजस्थान के झालावाड़ स्कूल हादसे में 8 बच्चों की मौ..त, पांच शिक्षक निलंबित
राजस्थान के झालावाड़ जिले के पिपलोदी गांव में सरकारी स्कूल की छत गिर गई। इसमें 8 बच्चों की मौत हो गई है। करीब 27 बच्चे घायल हैं। इसमें से 8 बच्चे गंभीर रूप से घायल है। जब हादसा हुआ तब मौके पर करीब 35 बच्चे थे। इस घटना के बाद शिक्षा विभाग ने पांच शिक्षकों को निलंबित किया है। झालावाड़ स्कूल हादसे के बाद शिक्षा विभाग ने कार्रवाई की है। स्कूल के सभी 5 शिक्षकों को निलंबित कर दिया गया है। इस घटना में शिक्षकों की प्रारंभिक लापरवाही मानी गई है। हादसे में अब तक 8 बच्चों की मौत हो गई है। 27 घायल हुए हैं। इसमें से 8 बच्चों की हालत गंभीर है। स्कूल गिरने पर मलबे से बच्चों को निकालकर अस्पताल पहुंचाने वाले बनवारी ने बताया कि स्कूल के भवन की हालत खराब है। इसकी जानकारी सभी अधिकारियों को थी। इसके बारे में शिकायत भी की गई थी। पर स्कूल के अधिकारी पंचायत में शिकायत करने की बात करते रहे। पंचायत वाले अन्य पर टालते रहे। समय पर भवन की मरम्मत हो जाती तो ये हादसा नहीं होता।वहीं झालावाड़ कलेक्टर अजय सिंह राठौर का कहना है कि जर्जर भवनों की सूचि में इस स्कूल का नाम नहीं था। गंभीर रूप से घायल पांच और बच्चों को झालावाड़ अस्पताल में भर्ती कराया गया है। करीब 10 बच्चे गंभीर रूप से घायल बताए जा रहे हैं। जिनका इलाज झालावाड़ अस्पताल में चल रहा है। गांववालों ने बताया कि स्कूल में दो क्लास चल रही थीं। यहां सात कमरे हैं। जब हादसा हुआ तब 71 बच्चे दो क्लास में मौजूद थे। वहीं स्कूल में दो शिक्षक थे। दोनों शिक्षक स्कूल से बाहर थे। इस वजह से वे हादसे का शिकार नहीं हुए। घायल बच्चों से मिलने के लिए संभागीय आयुक्त राजेंद्र सिंह शेखावत झालावाड़ अस्पताल पहुंचे। झालावाड़ स्कूल हादसे में बच्चों की मौत पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुख प्रकट किया। ट्वीट के माध्यम से पीएम ने कहा, ‘दुर्घटना अत्यंत दुःखद है। इस कठिन घड़ी में मेरी संवेदनाएं प्रभावित छात्रों और उनके परिवारों के साथ हैं। मैं घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करता हूं।’ साथ ही प्रधानमंत्री ने हर संभव मदद की बात भी कही।घटना पर दुख जताते हुए डोटासरा ने सरकार पर निशाना साधा। सिस्टम की लापरवाही को हादसे का जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि मासूमों की जान सिर्फ लापरवाही की वजह से गई है। मां-बाप से बहुत सपने देखकर बच्चों को शिक्षा दिलाने के लिए स्कूल भेजा होगा लेकिन सरकारी तंत्र इतना लापरवाह हो गया कि यही संज्ञान नहीं ले सका कि ये भवन बच्चों के सुरक्षित है कि नहीं। हमें इस घटना से सीख लेकर जिम्मेदारी जरूर लेनी चाहिए। हमें उन विद्यायल जो जर्जर हैं, बच्चों के सुरक्षित नहीं हैं, वहां से बच्चों को दूसरी जगह बच्चों को शिफ्ट करना चाहिए। जब तक वहां नया भवन न बने या मरम्मत न हो जाए तब तक बच्चों को शिक्षा कहीं और सुचारू रूप से कराई जानी चाहिए।जानकारी के अनुसार मामले में बड़ी लापरवाही सामने निकल कर आ रही है। बताया गया कि स्कूल की छत काफी समय से जर्जर हालत में थी। लगातार हो रही भारी बारिश के बाद छत के गिरने का अंदेशा भी बना हुआ था। इसके बावजूद कोई उपाय नहीं किए गए। नतीजा बच्चों की जान चली गई। गंभीर घायल बच्चों को झालावाड़ जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया है। मलबा हटाने में रेस्क्यू टीम के साथ ग्रामीण भी पूरी तरह से लगे हुए हैं। यह स्कूल से पीपलोद गांव में बना हुआ था। जानकारी में यह भी सामने है कि मलबे में दबे सभी बच्चे 7वीं कक्षा के थे। जिस समय हादसा हुआ उसमें बच्चे अपने कक्षा में पढ़ाई कर रहे थे।मुख्यमंत्री ने दिए जांच के आदेश
हादसे पर दुख जताते हुए मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने दिवंगत दिव्य आत्माओं की शांति के लिए प्रार्थना की। साथ ही उन्होंने हादसे की जांच के निर्देश भी दिए हैं।