जॉब ट्रेनी योजना पर भड़के बेरोजगार, बोले सात दिन में योजना वापिस न ली तो होगा बड़ा आंदोलन
हिमाचल प्रदेश सरकार की नई “जॉब ट्रेनी योजना” को लेकर राज्य भर के शिक्षित बेरोजगारों में जबरदस्त आक्रोश है। सरकार द्वारा अनुबंध आधार पर नौकरियां समाप्त कर अब “ट्रेनी” के तौर पर नई भर्तियां करने की अधिसूचना जारी की गई है। इस फैसले को बेरोजगारों ने अपने भविष्य के साथ खिलवाड़ बताते हुए सख्त विरोध दर्ज करवाया है।
शिमला स्थित राज्य पुस्तकालय में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे युवाओं ने इस योजना के खिलाफ मोर्चा खोलने की चेतावनी दी है। उनका कहना है कि सरकार ने यदि सात दिन के भीतर इस योजना को वापस नहीं लिया तो प्रदेशव्यापी आंदोलन शुरू किया जाएगा। प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि यह योजना रोजगार देने के बजाय युवाओं को भ्रमित करने और समय गंवाने का तरीका है।
युवाओं का कहना है कि कांग्रेस सरकार ने अपने अढ़ाई साल के कार्यकाल में मात्र कुछ नाममात्र की भर्तियां की हैं और अब ट्रेनी योजना के नाम पर 2 साल तक कम वेतन पर काम करवाने की तैयारी है, जिसके बाद फिर से परीक्षा लेकर चयन किया जाएगा। उन्होंने पूछा कि यदि कोई उम्मीदवार दो साल सेवा देने के बाद अंतिम परीक्षा में पास नहीं होता है तो उसकी सेवा का क्या होगा? सरकार की अधिसूचना में इस पर कोई स्पष्टता नहीं है।
बेरोजगारों ने यह भी कहा कि सरकार की नीयत स्पष्ट नहीं है। यह योजना न सिर्फ युवाओं के भविष्य के साथ मजाक है, बल्कि उन्हें सस्ती श्रम शक्ति के रूप में इस्तेमाल करने की साजिश भी है। बेरोजगार युवाओं ने कहा कि पहले ही सीमित सरकारी नौकरियों के कारण हजारों युवा मानसिक तनाव में हैं, ऐसे में यह निर्णय पूरी तरह असंवेदनशील और जनविरोधी है।
युवाओं ने सरकार से मांग की है कि पारंपरिक अनुबंध भर्ती प्रणाली को बहाल किया जाए और ट्रेनी जैसी अस्थायी व्यवस्था को खत्म किया जाए। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि सात दिन के भीतर इस योजना को निरस्त नहीं किया गया तो राजधानी शिमला में विशाल प्रदर्शन कर सरकार को जवाब दिया जाएगा।