जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए रणनीतियों पर कार्यशाला का आयोजन
डॉ. यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी के पर्यावरण विज्ञान विभाग द्वारा अंबुजा सीमेंट फाउंडेशन, दाड़लाघाट के सहयोग से क्षेत्रवार अनुकूलन जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए शमन रणनीतियाँ का पता लगाने के लिए ‘जलवायु परिवर्तन से लड़ने के तरीके’ विषय पर एक कार्यशाला का आयोजन किया। कार्यशाला में पर्यावरण विज्ञान, कृषि, बागवानी और पशुपालन क्षेत्रों के एक दर्जन से अधिक विशेषज्ञ, वाटरशेड डेवलपमेंट टीम के सदस्य, जलवायु-प्रूफिंग परियोजना के सदस्य और किसानों ने संयुक्त रूप से इन विभिन्न क्षेत्रों पर जलवायु परिवर्तन के कारणों और प्रभावों पर चर्चा और उपयुक्त अनुकूलन और शमन रणनीति बनाने के लिए एकत्रित हुए। कार्यशाला में 100 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया और जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाली समस्याओं पर चर्चा की। पर्यावरण विभाग के हैड और कार्यक्रम के समन्वयक डॉ. एसके भारद्वाज ने जलवायु परिवर्तन की स्थिति और इसकी वैश्विक चुनौती के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि हिमाचल प्रदेश में पिछले 120 वर्षों के दौरान औसत तापमान में 1.5 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि हुई है। वर्तमान में दुनिया का हर देश तापमान वृद्धि को 2 डिग्री से नीचे रखने के लिए कार्य कर रहा है। लेकिन फिर भी परिणाम संतोषजनक नहीं हैं और अनुमान हैं कि इस सदी के अंत तक तापमान 2 डिग्री से अधिक बढ़ सकता है जो बहुत विनाशकारी हो सकता है और जलवायु आपातकाल की ओर संकेत कर सकता है। डॉ. भारद्वाज ने कहा कि जलवायु परिवर्तन की स्थिति के तहत जलवायु साक्षरता पैदा करने की आवश्यकता है ताकि हम व्यक्तिगत स्तर पर एक स्थायी मानव समाज बनाने के लिए प्रकृति के साथ सद्भाव से रहना शुरू कर सकें। उन्होंने व्यक्तिगत स्तर पर निम्न-कार्बन शैली की वकालत की।









