जब आपके पास वैक्‍सीन नहीं तो घोषणा क्‍यों की, दिल्‍ली हाईकोर्ट का तीखा सवाल

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दिल्‍ली हाईकोर्ट ने कहा है कि कोविड-19 के कारण युवा पीढ़ी के कई लोगों की जान जा चुकी है। उसे टीकाकरण में प्राथमिकता दी जानी चाहिए क्‍योंकि वे देश के भविष्‍य हैं लेकिन बुजुर्ग लोगों को तरजीह दी जा रही है जो अपनी ज्‍यादातर जिंदगी जी चुके हैं।  हालांकि हाईकोर्ट  ने इसके साथ ही स्‍पष्‍ट किया कि वह इस बात को नहीं कर रहा है कि बुजु्र्ग लोगों की जिंदगी महत्‍वपूर्ण नहीं है, बुजुर्ग परिवार को जो भावनात्‍मक समर्थन देते हुए उसे अनदेखा नहीं किया जा सकता।  जस्टिस सांघी ने कहा कि कोविड-19 की दूसरी लहर में युवा पीढ़ी ज्‍यादा प्रभावित हो रही है और उसे वैक्‍सीन उपलब्‍ध नहीं हो पा रही।  उन्‍होंने कहा, ‘मैं वैक्‍सीनेशन पॉलिसी को समझ नहीं पा रहा। ‘

27 मई को 214 टीकाकरण कंेद्रों में 18 से 44 आयु वर्ग के 21,235 लोगों को लगाई जाएगी वैक्सीन

उन्‍होंने कहा, ‘मैं अपने लिए नहीं कह सकता…आपने 18 से 44 वर्ष के लोगों के लिए वैक्‍सीनेशन पॉलिसी का ऐलान किया है लेकिन आपके पास वैक्‍सीन नहीं है। जब आपके पास वैक्‍सीन ही नहीं हैं तो आपने यह घोषणा क्‍यों की? हमें भविष्‍य पर निवेश करने की जरूरत है लेकिन हम उसकी ही अनदेखी कर रहे हैं। ‘

उन्‍होंने कहा कि हमें अपने भविष्‍य को सुरक्षित करना है, इसके लिए हमें युवा पीढ़ी का टीकाकरण करने की जरूरत है लेकिन यहां हम 60+ के लोगों को तरजीह दे रहे जो अपनी जिंदगी जी चुके।  यह युवा पीढ़ी है जो भविष्‍य है।  जज ने यह भी कहा कि कोविड-19 के कारण बड़ी संख्‍या में युवाओं को जान गंवानी पड़ी है।  जस्टिस सांघी ने कहा कि संकट के इस समय में यदि चयन किया जाए तो हमें युवाओं को चुनना चाहिए क्‍योंकि 80 वर्ष का कोई व्‍यक्त्‍ि अपनी जिंदगी जी चुका है और देश को आगे नहीं ले जा सकता। उन्‍होंने कहा, ‘वैसे तो हमें हर किसी की जान बचाने में सक्षम होना चाहिए लेकिन यह चुनने का विकल्‍प हो तो युवाओं को बचाया जाना चाहिए। ‘

Vishal Verma

20 वर्षों के अनुभव के बाद एक सपना अपना नाम अपना काम । कभी पीटीसी चैनल से शुरू किया काम, मोबाईल से text message के जरिये खबर भेजना उसके बाद प्रिंट मीडिया में काम करना। कभी उतार-चड़ाव के दौर फिर खबरें अभी तक तो कभी सूर्या चैनल के साथ काम करना। अभी भी उसके लिए काम करना लेकिन अपने साथियों के साथ third eye today की शुरुआत जिसमें जो सही लगे वो लिखना कोई दवाब नहीं जो सही वो दर्शकों तक