चीड़ की पत्तियों से निकले ईंधन से दौड़ेंगी अब गाड़ियां
पेट्रो पदार्थों के लगातार दोहन और बढ़ती कीमतें जहां चिंता का विषय हैं, वहीं दुनिया भर में इसके वैकल्पिक स्रोत को लेकर शोध भी जारी हैं। नौणी विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने चीड़ की पत्तियों से ऐसा ईंधन तैयार करने में सफलता पाई है, जो पेट्रोल-डीजल के विकल्प के रूप में क्रांतिकारी कदम साबित होगा। चीड़ की पत्तियों से निकले ईंधन से गाड़ियां दौड़ेगी। इसका नौणी विवि के वैज्ञानिकों ने सफल प्रशिक्षण किया है।
विशेष माइक्रोब के इस्तेमाल से चीड़ की पत्तियों से ईंधन तैयार किया जा रहा है। ईंधन को पेट्रो पदार्थों के साथ मिश्रित कर प्रयोग किया जाएगा। जीबीपंत राष्ट्रीय संस्थान के निदेशक ने इस प्रोजेक्ट में किए जा रहे कार्य का सराहना की है। परियोजना के अंतिम वर्ष में इस नवीन प्रौद्योगिकी को सफलतापूर्वक उद्योग में स्थानांतरित करने के लिए वित्त पोषण एजेंसी के साथ प्रौद्योगिकी के सत्यापन पर कार्य किया जा रहा है।
नौणी विवि के कुलपति डॉ. परविंदर कौशल ने बताया कि इस परियोजना में बेसिक साइंस विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. निवेदिता शर्मा मुख्य अन्वेषक हैं। अनुसंधान कार्य में रिसर्च एसोशिएट डॉ. निशा शर्मा भी उनका साथ दे रही हैं। अब तक इस अप्रयुक्त वन अपशिष्ट से ईंधन ग्रेड इथेनॉल का उत्पादन करने के लिए एक नई तकनीक विकसित करने का काम पूरा किया गया है। इस प्रक्रिया में मुख्य रूप से विशेष माइक्रोब का इस्तेमाल कर प्रतिरोधी पत्तियों को घोल दिया जाता है।
इसका किंवन का मानकीकरण कर इथेनॉल में बदल दिया जाता है। भारत सरकार की वर्ष 2025 तक वाहनों को चलाने के लिए पेट्रोल में 20 प्रतिशत इथेनॉल का सम्मिश्रण पर स्विच करने के लक्ष्य से इस परियोजना को आने वाले भविष्य में अधिक मांग वाली नवीन प्रौद्योगिकी के रूप में देखा जाएगा। हिमाचल सरकार ने भी अभी हाल ही में एक एथानॉल प्लांट लगाने का निर्णय लिया है।
जंगलों में आग लगने के कम होंगे अवसर
भविष्य में चीड़ की पत्तियां परेशानी नहीं बनेंगी। इन्हें ईंधन बनाने के लिए प्रयोग किया जाएगा। नौणी विवि के बेसिक साइंस विभाग के वैज्ञानिक करीब दो वर्षों से इस विषय पर अनुसंधान कर रहे है। घने, सुंदर और हरे-भरे-सदाबहार चीड़ के जंगल हिमाचल प्रदेश जैसे हिमालय राज्यों की पहचान हैं।
साल भर पेड़ों से प्रचुर मात्रा में जगलों में गिरने वाली पत्तियों और इनकी आग प्रवण प्रकृति के परिणामस्वरूप हर साल गर्मियों के मौसम में जंगल की आग लगने की घटनाएं होती है। अब इन पत्तियों का प्रयोग ईंधन बनाने के लिए किया जा सकेगा।