चमत्कार : ब्यास नदी में खौल रहा है पानी, तो कहीं निकल रही है ज्वाला…

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प्राकृतिक गैस या कोई दैवीय शक्ति, जांच का विषय… गागलिया परिवार मानता है अपनी कुलदेवी…

देहरा- हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिला के देहरा में बहने वाली ब्यास नदी में आजकल चमत्कार हो रहा है। यहां कहीं पानी खौल रहा है तो कहीं ज्वाला निकल रही है। यह चमत्कार साल में एक बार होता है। जून महीने में जब पौंग डैम में यह जगह पानी से बाहर निकलती है तो यहां 9 खड्डे हैं जिनमें लगातार आग जलती रहती है। निरंतर आग की लपटें निकलती रहती हैं। कुछ लोग इसे प्राकृतिक गैस बता रहे है तो वहीं कुछ इसे आस्था से जोड़कर देख रहे हैं। हैरानी की बात यह है कि लगभग 12 वर्ष पहले जिस स्थान पर यह ज्वाला जलती है आज भी उसी स्थान पर जल रही हैं। जिन खड्डों में जलभराव है उनमें पानी खोलता रहता है। सबसे बड़ा सवाल यह है कि यह चमत्कार नहीं तो ओर क्या है। वहीं दूसरी और गागलिया परिवार इन ज्योतियों को अपनी कुलदेवी मानता है।

आसाम गोहाटी से कामाख्या देवी के दीक्षार्थी अजय शर्मा भी यहां चमत्कार देखने पहुंचे। अजय शर्मा ने यहां ज्योतों के दर्शन किए और उनकी पूजा भी की। उनके साथ आए कुछ लोग यह चमत्कार देखकर दंग रह गए। यहां 9 खड्डे पड़े हैं जिनमें कहीं पानी खौल रहा है तो कहीं ज्वाला जल रही है। कामाख्या देवी के दीक्षार्थी अजय शर्मा ने कहा कि वह हिमाचल प्रदेश में माँ ज्वालामुखी के दर्शनों को आए थे, लेकिन यहां सभी मंदिर बंद थे। हम मायूस हो गए लेकिन हमें यहां ज्योतों के जलने की जानकारी मिली। तभी हम देहरा के भटोली फकोरियां में पहुंचे वहां से स्थानीय व्यक्ति दीपक शर्मा को साथ और पौंग डैम में ब्यास नदी किनारे पहुंचे। यहां हम सभी ने 9 खड्डे देखे उनमें कुछ में जलती हुई ज्योतों के ज्वाला रूप में दर्शन हुए तो कुछ खड्डों में पानी खोलता हुआ देखा। कामाख्या देवी के दीक्षार्थी अजय शर्मा ने कहा कि हमें यह महसूस नहीं हुआ की मंदिर बंद है हमनें 9 देवियों के माँ ज्वाला की जलती हुई ज्योतों के रूप में दर्शन किए हैं।

गागलिया परिवार की है कुलदेवी, साल में एक बार जून महीने में होते है दर्शन…

ब्यास नदी पर सन 1975 में पौंग डैम बनाया गया था। जानकारी के अनुसार यहां गागलिया परिवार की कुलदेवी माँ ज्वाला ज्योतियों के रूप में दर्शन देती थी। लेकिन बांध बनने के बाद यहां से लगभग 21 हजार परिवार बेघर हुए थे। पौंग डैम में सैंकड़ों मंदिर जलमग्न हो गए। आज भी बाथू की लड़ी जहां हजारों की संख्या में पर्यटक पहुंच रहे हैं। वैसी ही प्राचीन शैली के मंदिर जलमग्न हैं। उन्हीं में से डोला, मोहारा व आसपास के गांव में बसे लोग यहां दर्शनों को आते थे और यह सभी गांव आज जलमग्न है। लेकिन लगभग 12 वर्ष पहले जब यह जगह पानी से  बाहर आई तो यहां लोगों ने पानी खोलता हुआ देखा और कुछ जगह अग्नि रूप में ज्योतें जलने लगी। इसके बाद जब यह बात तत्कालीन कैबिनेट मंत्री रमेश धवाला को लगी तो उन्होंने भी यहां का दौरा किया था। उसके बाद देहरादून की टीमें यहां जांच करने पहुंची लेकिन किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सके। वहीं जब गागलिया परिवार को यह पता चला तो उन्होंने यहां जून महीने में जब यह स्थान पानी से खाली हुआ तो यहां आने शुरू हो गए।

Vishal Verma

20 वर्षों के अनुभव के बाद एक सपना अपना नाम अपना काम । कभी पीटीसी चैनल से शुरू किया काम, मोबाईल से text message के जरिये खबर भेजना उसके बाद प्रिंट मीडिया में काम करना। कभी उतार-चड़ाव के दौर फिर खबरें अभी तक तो कभी सूर्या चैनल के साथ काम करना। अभी भी उसके लिए काम करना लेकिन अपने साथियों के साथ third eye today की शुरुआत जिसमें जो सही लगे वो लिखना कोई दवाब नहीं जो सही वो दर्शकों तक