
हिमाचल प्रदेश में महिला शक्ति गृहस्थी के साथ शासन-प्रशासन भी बखूबी चला रही हैं। आईएएस, एचएएस, आईपीएस कैडर की कई महिला अधिकारी सामाजिक दायित्वों को लेकर भी पूरी तरह से सजग हैं। प्रदेश में बढ़ रहे चिट्टे की रोकथाम के लिए समाज कल्याण विभाग की निदेशक किरण भड़ाना ने मोर्चा संभाला हुआ है। कानून व्यवस्था सुदृढ़ करने में आईपीएस अधिकारी सतवंत अटवाल, अंजुम आरा, साक्षी वर्मा और शालिनी अग्निहोत्री जुटी हुई हैं। प्रशासनिक अधिकारी प्रियंका बासु, ओशिन शर्मा, गंधर्व राठौर और रुपाली ठाकुर युवाओं को भविष्य की राह दिखा रहीं हैं। इनके अलावा सचिव एम. सुधा देवी, राखिल काहलो, निदेशक कुमुद सिंह, उपायुक्त तोरुल एस रविश, प्रभा राजीव, सीता ठाकुर, अंजु शर्मा सहित कई अन्य महिला अधिकारी भी समाज में अलख जगा रही हैं।ये महिलाएं न केवल प्रशासनिक स्तर पर बल्कि सामाजिक और विकासात्मक पहलुओं में भी प्रभावशाली भूमिका निभा रही हैं।

इन महिला अधिकारियों का योगदान न केवल उनकी मेहनत और समर्पण का प्रतीक है, बल्कि यह हिमाचल प्रदेश सरकार के समग्र विकास में भी अहम भूमिका अदा कर रहा है। सरकार के विभिन्न विभागों में महिला अधिकारियों की नियुक्ति और उनकी भूमिका बढ़ती जा रही है। इन अधिकारियों ने चुनौतीपूर्ण जिम्मेवारियों को बखूबी निभाते हुए अपने कार्यों से यह साबित कर दिया है कि प्रशासनिक नेतृत्व में महिलाएं उतनी ही सक्षम और प्रभावशाली हो सकती हैं, जितनी पुरुष अधिकारी। कई महिला अधिकारी अब जिलों में जिला मजिस्ट्रेट, पुलिस प्रमुख, उपायुक्त और अन्य महत्वपूर्ण पदों पर कार्यरत हैं, जहां वे न केवल प्रशासनिक फैसले ले रही हैं, बल्कि समाज के विभिन्न वर्गों के बीच समन्वय भी स्थापित कर रही हैं।
प्रशासक की भूमिका निभा रहीं प्रो. ममता
शिमला। एचपीयू के लोक प्रशासन विभागाध्यक्ष प्रो. ममता मोक्टा अपने पढ़ाने और विभाग को संचालित करने के साथ ही विवि के अधिष्ठाता अध्ययन जैसे वैधानिक पद पर सेवाएं दी रही हैं। परिवार की जिम्मेवारी के साथ ही उन्होंने बतौर प्रशासक भी अपने आप को साबित किया है। हाल ही में प्रो. मोक्टा को वी. भास्कर रॉव लाइफ टाइम एचीवमेंट अवाॅर्ड मिला है। 33 साल का शैक्षणिक अनुभव रखती हैं। कॉलेज में 13 साल तक शिक्षण कार्य करने के बाद वे विवि के लोक प्रशासन विभाग में पढ़ा रही हैं। 83 से अधिक लेख अंतरराष्ट्रीय जर्नल में लिख चुकी हैं। 12 छात्रों की पीएचडी में गाइड रह चुकी है। वे सामाजिक कार्यों में भी हमेशा आगे रहती है।
सामाजिक, सांस्कृतिक क्षेत्र में भी बदलाव की वाहक बनीं
महिला अधिकारियों का प्रभाव केवल सरकारी विभागों तक सीमित नहीं है, बल्कि ये सामाजिक और सांस्कृतिक क्षेत्र में भी बदलाव की वाहक बन रही हैं। वे महिला सशक्तीकरण, शिक्षा, स्वास्थ्य, और सुरक्षा के मामलों में लगातार सुधार की दिशा में काम कर रही हैं। कई महिला अधिकारियों ने महिलाओं और बच्चों के अधिकारों को सशक्त करने के लिए विशेष योजनाओं की शुरुआत की है, जो उन्हें आर्थिक, सामाजिक और मानसिक रूप से सशक्त बना रही हैं।
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