कोरोना में चेरी के दामों ने लगाई लंबी छलांग, 350 रुपये किलो बिक रही : कुल्लू
कोरोना काल में चेरी के दामों ने लंबी छलांग लगाई है। प्रदेश की स्थानीय मंडियों के अलावा बाहरी राज्यों की मंडियों में इस बार उत्पादकों को लगभग दोगुने दाम मिल रहे हैं। इससे चेरी उत्पादकों के चेहरे खिल गए हैं। स्थानीय मंडियों में चेरी 120 से पौने दो सौ तक बिक रही है। दिल्ली की आजादपुर मंडी में 200 से 350 रुपये प्रति किलो के हिसाब से चेरी को हाथों हाथ खरीदा जा रहा है। कोरोना में विटामिन सी से भरपूर इस फल की काफी मांग की जा रही है। पिछले दो सालों में स्थानीय मंडियों में चेरी 100 से 150 रुपये किलो बिकी थी। जबकि, बाहरी राज्यों की मंडियों में भी उत्पादकों को यही दाम मिले थे। सूबे में तकरीबन 20 से अधिक वैरायटी की चेरी की पैदावार विभिन्न क्षेत्रों में हो रही है।
इसका उत्पादन समुद्रतल से 2500 मीटर की ऊंचाई तक के इलाकों में किया जा सकता है। एक आंकडे़ के अनुसार प्रदेश में 450 हेक्टेयर क्षेत्र में चेरी का उत्पादन हो रहा है। कुल्लू के बागवानों का भी रूझान इसकी पैदावार की ओर बढ़ रहा है। प्रदेश मुख्य रूप से चेरी का उत्पादन कुल्लू, शिमला, किनौर, चंबा और लाहौल-स्पीति जिलों में हो रहा है। शिमला जिले में राज्य के कुल उत्पादन का 80 फीसदी से अधिक उत्पादन होता है। चेरी की मुख्य किस्मे डयूरो नेरो, लैपिन, रैगिन, मरचेंटकारडिया, लेम्बार्ट, सेम गिंग वेन, स्टेला है। बंदरोल सब्जी मंडी के अध्यक्ष मोहन ठाकुर ने कहा कि क्षेत्रीय बागवानी अनुसंधान केंद्र सेउबाग में विलोना, लेक्ड, स्टेना तथा समवैस्ट आदि किस्में तैयार हो रही है। इस साल पौधों में काफी अच्छे फल लगे हुए है।

कोरोला में बढ़ी चेरी की मांग : गुलेरिया
एपीएमसी कुल्लू के सचिव सुशील गुलेरिया ने कहा कि कोरोना काल में चेरी की अधिक मांग है। यह फल इम्यूनिटी को बढ़ाता है। यही कारण इसके दामों में उछाला आया है।
चेरी में विटामिन सी और एंटी-ऑक्सीडेंट की मात्रा बहुत अधिक होती है। इसके अलावा विटामिन ए और बी, फोलेट और नायासिन भी पाया जाता है। इसके अलावा पोटेशियम, आयरन, तांबा, कैल्शियम और फॉस्फोरस प्रचुर मात्रा में होता है।