कोरोना के इलाज से ‘प्लाज्मा थेरेपी’ हटाने के क्या हैं मायने और क्यों लिया गया फैसला? जानें- ICMR वैज्ञानिक से
कोरोना वायरस के इलाज में इस्तेमाल की जा रही प्लाज्मा थेरेपी को हटा दिया गया है। यह ICMR National Covid Task Force की सिफारिश पर फैसला लिया गया है। कुछ दिन पहले कोविड पर बनी नेशनल टास्कफोर्स की मीटिंग में इस पर चर्चा हुई थी। इसमें कहा गया था कि प्लाज्मा थेरेपी से फायदा नहीं होता है। इस पर कहना है कि कोरोना के मरीजों में सुधार को लेकर इसके ठोस परिणाम नहीं मिले। इस थेरेपी को हटाने के क्या मायने हैं और ये फैसला क्यों किया गया? इस पर पर प्लाज्मा को लेकर किए गए ट्रायल की प्रिंसिपल इन्वेस्टिगेटर और आईसीएमआर की साइंटिस्ट डॉक्टर अपर्णा मुखर्जी से एनडीटीवी ने बातचीत की।
उन्होंने बताया कि भारत, यूके अमेरिका, अर्जेंटीना की रिकवरी ट्रायल (11000 मरीजों पर ट्रायल) सबको मिलाकर एनालिसिस करने पर देखा गया कि इससे कोई फायदा नहीं हो रहा है। भारत में पिछले साल अप्रैल से अगस्त तक ट्रायल चला था। यह ट्रायल Severe या Mortality को लेकर किया गया था। पर इससे कोई खास फायदा नहीं दिखा।
इससे होने वाले नुकसान के बारे में मुखर्जी ने कहा, इससे नुकसान थियोरिटिकली हो सकता है, पर इसको लेकर हमारे पास कोई सबूत नहीं हैं। लेकिन गंभीर मरीज को यह थेरेपी देने का कोई फायदा नहीं दिखाई दिया।
जब उनसे पूछा गया कि लोगों का कहना है कि उनके मरीज को इससे फायदा हुआ है। तो उन्होंने कहा कि कोई भी दवाई देंगे तो किसी में सुधार हो सकता है, किसी में नहीं। इसलिए ही इसका अध्ययन किया जाता है। किसी भी चीज का असर और सुधार कई और वजह से भी हो सकता है।