कोरोना की आपदा में प्रदेश में भ्रष्टाचार के दो मामले सामने आने से जयराम सरकार बैकफुट पर आ गई है। इस आपदा की घड़ी में सरकार अपने दामन पर लगे भ्रष्टाचार के दाग को साफ करें या फिर कोरोना से प्रदेश की जनता को सुरक्षित रखने के प्रयास करें लेकिन इन दोनों मामलों ने सरकार की अब तक कि मेहनत पर पानी फेर दिया है।पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने स्वास्थ्य विभाग में भ्रष्टाचार के मामले को अपराध नही बल्कि महापाप करार दिया है। इससे सरकार पर उस बड़े नेता के खिलाफ कार्रवाई का दवाब बढ़ गया है जिनका नाम इस मामले से जोड़ा जा रहा है। सरकार को अब इस मामले पर पर्दा डालना इतना आसान नही होगा। भ्रष्टाचार कर जिस सरकारी धन पर हाथ साफ करने का कथित षड्यंत्र रचा गया, उसमे अंशदान प्रदेश की उस आम जनता का भी है जिन्होंने लॉकडाउन में काम न होने के बावजूद कोविड केयर फंड में दिल खोलकर पैसा जमा किया। यही कारण है कि भ्रष्टाचार के दो मामले सामने आने के बाद जनता में काफी रोष व्याप्त है।
सूत्रों की माने कोरोना के दौरान सामने आए भ्रष्टाचार के इन दोनों मामलों से केंद्र भी प्रदेश सरकार से नाराज हो गया है।
प्रदेश सरकार को केंद्र की नजरों में अब अपनी साख बचाने के लिए दोनों मामलों की गम्भीरता से जांच करवानी होगी।
यहां पर विदित रहे कि लॉकडाउन 1 व लॉकडाउन 2 के माध्यम तक जयराम सरकार फ्रंटफूट पर बैटिंग कर रही थी। विपक्ष को भी निरुत्तर किया हुआ था। इसी बीच दो सांसदों व एक अधिकारी के बच्चे दिल्ली से हिमाचल पहुंचने पर बैकफुट पर चल रहा विपक्ष फ्रण्टफूट और इनके बचाव करते करते बैकफुट पर आ गई। दूसरे राज्यो में फंसे हिमाचलियों को सांसदों की तरह प्रदेश मे लाने के लिए विपक्ष व लोगो का सरकार पर दवाब बढ़ता गया । इसके बाद सरकार ने दूसरे राज्यो में फंसे हिमाचलियों को प्रदेश में आने की अनुमति देनी शुरू कर दी और उन्हें होमक्वारन्टीन किया जाने लगा। लोगों ने होमक्वारन्टीन के नियमों का उलंघन करना शुरू कर दिया जिसके कारण कोरोना फ्री की और बढ़ते प्रदेश मे नए मामले आने शुरू हो गए। सरकार के इस निर्णय की आलोचना होनी शुरू हो गई। सरकार को फिर अपना निर्णय बदलना पड़ा। इसके बाद रेड जोन से आने वाले लोगों को इंस्टिट्यूशनल क्वारन्टीन करना शुरू कर दिया। हालांकि पिछले कुछ समय से प्रदेश में कोरोना संक्रमित की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। कोरोना के लगातार बढ़ते मामलों से जहां जनता चिंतित है वही भ्रष्टाचार के इन मामलों से वे दुखी है।
अब देखना है जीरो टॉलरेंस भ्रष्टाचार का दम भरने वाली सरकार क्या कार्रवाई करती है। पूरे प्रदेश की नज़रे इस पर लगी हुई है।
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