केन्द्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा- लोगों को परिवार नियोजन के लिए बाध्य नहीं कर सकते
फैमिली प्लानिंग (Family Planning) से संबंधित एक याचिका (PIL) से जुड़े मामले में केन्द्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में अपना हलफनामा दाखिल किया है। केंद्र सरकार(Central Government) ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि भारत अपने लोगों को परिवार नियोजन के लिए बाध्य करने और बच्चा पैदा करने की संख्या निर्धारित करने के खिलाफ है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि देश में परिवार कल्याण कार्यक्रम स्वैच्छिक है जिसमें अपने परिवार के आकार का फैसला दंपती कर सकते हैं और अपनी इच्छानुसार परिवार नियोजन के तरीके अपना सकते हैं। केंद्र सरकार ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जिस देश ने भी बच्चे पैदा करने की बाध्यता के लिए कानून बनाया है उसका नुक़सान ही हुआ है। ऐसा करने पर पुरुष और महिला की आबादी में संतुलन बनाना मुश्किल होता है।
केंद्र सरकार ने यह जवाब भाजपा नेता और वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय द्वारा दायर एक जनहित याचिका के जवाब में दिया। इस याचिका में दिल्ली उच्च न्यायालय के एक आदेश को चुनौती दी गई थी। दिल्ली हाईकोर्ट ने देश की बढ़ती जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए दो- बच्चों की नीति सहित कुछ अन्य कदमों की मांग को खारिज कर दिया था। दरअसल हाई कोर्ट ने तीन सितंबर को याचिका को खारिज करते हुए कहा था कि कानून बनाना संसद और राज्य विधायिकाओं का काम है, अदालत का नहीं।