कांग्रेस सहानुभूति भुनाने की तैयारी में, मुश्किल हुई भाजपा की डगर
बीते 8 जुलाई को कांग्रेस के दिग्गज नेता और हिमाचल प्रदेश के छह बार के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के निधन के बाद सूबे की सियासी तस्वीर बदल गई है। इस बदले घटनाक्रम के बाद कांग्रेस जहां खासी सक्रिय हो गई है, वहीं भाजपा भी इसका तोड़ तलाश रही है। दरअसल, पहले भाजपा को उम्मीद थी कि वह मंडी लोकसभा क्षेत्र में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के नाम पर आसानी से चुनावी नैया पार लगा लेगी। चूंकि अभी तक वीरभद्र सिंह का परिवार मंडी सीट पर चुनाव लड़ने में रुचि नहीं ले रहा था।

दिग्गज कांग्रेस नेता भी चुनाव लड़ने से कतरा रहे थे। लेकिन अब कांग्रेस अपने दिवंगत नेता के नाम पर हर ब्लॉक तक पहुंच बनाने में जुटी है। प्रदेश प्रभारी राजीव शुक्ला, सह प्रभारी संजय दत्त सभी को साथ लाने और वीरभद्र सिंह के बाद कांग्रेस के सियासी स्वरूप को सही रूप देने में जुटे हैं। भाजपा को डर सताने लगा है कि अगर मंडी में वीरभद्र के परिवार ने चुनाव लड़ने की हामी भर दी तो उससे पार पाना बड़ी चुनौती होगा।

सूत्रों के अनुसार भाजपा के नेता इस नए सियासी हालात से निपटने के लिए तोड़ तलाशने में जुट गए हैं। चूंकि उपचुनाव सूबे की बीस विधानसभा सीटों पर होना है, ऐसे में इस सेमीफाइनल को भाजपा और कांग्रेस दोनों ही अच्छे अंकों से पास करना चाह रही हैं। भाजपा जुब्बल कोटखाई में नरेंद्र बरागटा की सहानुभूति और सरकारी शक्ति जबकि फतेहपुर में नाराज अपनों की घर वापसी के जरिये विधानसभा उपचुनाव जीतने का मंत्र भी तलाश रही है।



