राज्यसभा चुनाव के बाद कांग्रेस छोड़कर भाजपा में गए छह बागी विधायकों में से चार उप चुनाव हार गए। दल बदल का लांछन झेलने इन पूर्व विधायकों को हार के बाद घर बैठना पड़ेगा। भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले छह बागियों में से सिर्फ सुधीर शर्मा और इंद्रदत्त लखनपाल ही पार्टी की लाज बचाने में सफल रहे। सुधीर शर्मा ने धर्मशाला से कांग्रेस प्रत्याशी देवेंद्र जग्गी और इंद्रदत्त लखनपाल ने बड़सर से कांग्रेस के सुभाष को शिकस्त दी। वहीं, बागी राजेंद्र राणा, रवि ठाकुर, चैतन्य शर्मा और देवेंद्र कुमार भुट्टाे का कांग्रेस सरकार बनने के 15 महीने बाद ही दल बदलना जनता ने स्वीकार नहीं किया और उन्हें दोबारा से कुर्सी सौंपने से दूरी बनाई।
सुजानपुर से कांग्रेस के कैप्टन रंजीत राणा ने भाजपा के टिकट पर लड़ रहे बागी राजेंद्र राणा को हराया। वहीं, कुटलैहड़ से भाजपा प्रत्याशी देवेंद्र कुमार भुट्टो को कांग्रेस के विवेक शर्मा ने हराया। गगरेट से चैतन्य शर्मा को राकेश कालिया और लाहौल स्पीति से रवि ठाकुर को कांग्रेस की अनुराणा राणा ने परास्त किया। अब भविष्य में भी इनकी राह आसान नहीं है। कांग्रेस पार्टी में इन्हें शामिल होने की संभावनाएं दूर-दूर तक नजर नहीं आ रही है।
भाजपा भी अब इन्हें आगामी विधानसभा में प्रत्याशी बनाती है या नहीं इस पर संशय है। चूंकि विधायकी छोड़कर जब ये भाजपा में शामिल हुए तो संगठन में इसका काफी विरोध हुआ था। भाजपा के कार्यकर्ता इन्हें अपनाने को तैयार नहीं थे। हाईकमान के हस्तक्षेप करने के बाद ही इनके साथ भाजपा कार्यकर्ता चलने को तैयार तो हुए लेकिन उनके मन में इनके प्रति टीस जरूर थी।
जीत की वजह… दूर किए गिले शिकवे, सबको साथ लेकर चले
प्रत्याशी बनाए जाने पर बड़सर और धर्मशाला में कांग्रेस के बागियों का विरोध हो रहा, लेकिन लखनपाल और सुधीर शर्मा ने समय रहते गिले-शिकवे दूर किए और सब को लेकर साथ चले। यही वजह रही है कि दोनों चुनाव जीतने में कामयाब रहे। हार की वजह… समय पर नहीं मनाए पाए रूठे कार्यकर्ताओं को
कांग्रेस के बागी देवेंद्र कुमार भुट्टो, राजेंद्र राणा, चैतन्य शर्मा और रवि ठाकुर को टिकट देने के बाद से ही भाजपा में विरोध शुरू हो गया था। पार्टी के लिए सालों से काम कर रहे कार्यकर्ताओं ने हालांकि, खुलकर बगावत नहीं की, लेकिन अंदर ही अंदर विरोध खासा रहा। चारों बागी रूठों को नहीं मनाए पाए और जनता से भी उन्हें इस बार साथ नहीं मिल पाया।
धर्मशाला में नहीं चला सीएम का जादू
धर्मशाला में मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने सुधीर शर्मा को हराने के लिए भरकस प्रयास किए। तीन चार बार रैली और जनसभाएं की। खरीद फरोख्त के आरोप लगे। लेकिन सुधीर शर्मा ने भी इसी बीच आरोप को खारिज करते हुए दस्तावेजों के साथ मुख्यमंत्री पर हमला बोला। इससे भी सुधीर ने जनता के दिलों में अपनी जगह बनाई। वहीं निर्दलीय राकेश चौधरी के निर्दलीय चुनाव लड़ने पर उन्हें 6945 वोट पड़े हैं। इसकी मार भी कांग्रेस प्रत्याशी पर पड़ी है।
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