नेतृत्व की लड़ाई व वर्चस्व की जंग लड़ रही है कांग्रेस।
भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष पुरषोतम गुलेरिया ने जारी एक प्रैस बयान में कहा कि कांग्रेस पार्टी की प्रदेश कार्यकारिणी लम्बे इंतजार के बाद आखिर बिल्ली थैले से बाहर आ ही गई। कार्यकारिणी देख कर यह कहावत स्टीक बैठती है कि ’’इसमें तहसीलदार ज्यादा, पटवारी कम’’ है। यह कार्यकारिणी दिशाविहीन नेतृत्व के द्वारा बनाई गई कार्यकारिणी है जिसकी न कोई नीति है, न नीयत।
उन्होनें कहा कि कि चार गुटों में बंटी कांग्रेस पार्टी के नेता के उपर चारों तरफ से दबाव रहा होगा और सबको खुश करते-करते 19 उपाध्यक्ष, 19 महासचिव, 69 सचिव पर पहुंच गए होंगे। हैरानी नहीं होनी चाहिए, यदि कल को कांग्रेस के 4 प्रदेशाध्यक्ष भी बन सकते हैं। कांग्रेस में भी कुछ काम करने वाले लोग हैं परन्तु उनका नाम 150 की सूची में गायब हैं, शायद काम करने वाले कार्यकर्ताओं के उपर कांगे्रसी नेताओं की नजर कम पड़ती होगी।
पुरषोतम गुलेरिया ने कहा कि जो पार्टी 6 महीने से अपना राष्ट्रीय अध्यक्ष नहीं बना सकी, एक परिवार के बाहर सोच नहीं सकती व देश क्या चलाएगी। इसके विपरीत भारतीय जनता पार्टी ने तयशुदा कार्यक्रम के तहत जिसे केन्द्रीय चुनाव समिति द्वारा बाकायदा नोटीफाई किया था, अपना चुनाव बूथ अध्यक्ष से लेकर राष्ट्रीय अध्यक्ष तक शांतिपूर्वक व संवैधानिक तरीके से पूरा किया।
उन्होनें कहा वास्तव में कांग्रेस की समस्या यह है कि इनका संविधान भी एक परिवार द्वारा बोले गए शब्द होते हैं, इनका नेता भी एक परिवार से बाहर का नहीं हो सकता, इनका सब कुछ एक ही परिवार से तय होता है और दुर्भाग्य से उस परिवार को खुद ही समझ नहीं आ रहा कि करें क्या ? यह केवल भाजपा ही है जिसमें बूथ अध्यक्ष भी राष्ट्रीय अध्यक्ष बन सकता है (अमित शाह जी) तथा एक चाय बेचने वाला भी देश का प्रधानमंत्री बन सकता है। इसलिए कांग्रेस की कार्यकारिणी देखकर कोई हैरानी नहीं होती। नए कांग्रेस पदाधिकारियों को बहुत-2 बधाई।
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