कांग्रेस का हट सकता है सोलन नगर निगम से कब्जा, लिखी जा चुकी है पटकथा

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सोलन नगर निगम हो या इससे पहले नगर परिषद यहां पर खो-खो का खेल पहले ही खेला गया और अब भी खेला जा रहा है। कभी नेता अधिकारियों को खो कर रहे हैं तो कभी नेता अपने ही नेताओं का। जिसका भी दाव लगता है वो पल झपकते ही दूसरे को अपना शिकार बना लेता है।
पहले जब नगर निगम हुआ करती थी तो करीब 9 ईओ को नेता अपनी सुविधानुसार पटकते रहे। ईओ का पद उस समय फुटबॉल बनाकर रख दिया गया था। यही नही नगर निगम के समय अपनी ही पार्टी के खिलाफ भाजपा के पार्षद अविश्वास प्रस्ताव ले आए थे व पवन गुप्ता को पद से हटाकर देवेंद्र ठाकुर को अध्यक्ष बनाकर ही दम लिया था। भाजपा सता में होने के बाद भी आपसी गुटबाजी के चलते चर्चा में रही थी।


वही हाल अब नगर परिषद से नगर निगम बनने के बाद है। फर्क सिर्फ इतना है जो खेला पहले भाजपा खेल रही थी अब वो कांग्रेस खेल रही है। इस समय सोलन नगर निगम में मेयर व डिप्टी मेयर पद पर कांग्रेस के नेता विराजमान है। लेकिन अब डिप्टी मेयर के जाने की कहानी उनकी पार्टी के पार्षद ही लिख चुके है। माना जा रहा है कि इसी महीने की 9 तारीख को डिप्टी मेयर की विदाई हो सकती है। अपना इस्तीफा भी उन्होंने सोलन के विधायक डॉ कर्नल धनीराम शांडिल को निजी होटल में सौंप दिया था। जहां सभी पार्षद एकत्रित हुए थे व डिप्टी मेयर को हटाने का दवाब विधायक पर डाल रहे थे। कुछ मनमुटाव के बाद लिखित में डिप्टी मेयर ने अपना इस्तीफा भी सौंप दिया लेकिन इस्तीफे की फ़ोटो खींचने को लेकर वो नाराज हो गए व उन्होंने अपना इस्तीफा फाड़ दिया। अब देखना होगा कि अब डिप्टी मेयर राजीव कौड़ा पद से इस्तीफा देते है या नहीं। निजी होटल में हुई बैठक में इसकी पटकथा एक पार्षद व पार्षदों के सगे संबंधियों ने लिख दी थी। अगले दिन जब कांग्रेस के सह प्रभारी संजय दत सोलन आए तो उनके सामने इस पर खुलकर बात हुई। उन्होने भी इसका हल निकालने की बात कह दी है। अगर हल नहीं निकला और ऐसा हुआ तो कांग्रेस के कुछ पार्षद इस्तीफा दे सकते है जिसका वो मन भी बना चुके हैं। इसी घड़ी का इंतजार भाजपा कर रही है।

गेंद भाजपा के पाले में जाने की उम्मीद अब नजर आने लगी है। उनके पास 7 पार्षदों का आंकड़ा है और ऐसी सूरत में उनकी नजर अब कांग्रेस के नाराज पार्षदों पर रहेगी। अगर ऐसा हुआ तो चुनाव से ठीक पहले भाजपा को बड़ा झटका सोलन में दे देगी व निगम से कांग्रेस का तंबू उखाड़ने में कामयाब हो जाएगी।
इस सारे घटनाक्रम में महत्वपूर्ण बात ये है कि जब भी बैठकों का दौर चला वार्ड 11 के पार्षद अभय शर्मा को नजरअंदाज किया गया जिसके चलते वो भी नाराज चल रहे है। मेयर, डिप्टी मेयर को से भी इनहोने किनारा बनाए रखा। वार्ड 12 की पार्षद उषा शर्मा को जरूर बुलाया गया लेकिन उन्होने कहा कि जो निर्णय विधायक का होगा वो उन्हे मान्य होगा लेकिन वार्ड 15 की पार्षद संतोष बैठकों से किनारा बनाए हुए है।

अब देखना होगा जैसे ही राजीव कौड़ा डिप्टी मेयर के पद से त्यागपत्र देते है तो अगला डिप्टी मेयर कौन बनेगा ? फिलहाल एक धडे द्वारा वार्ड 7 की पार्षद व पूर्व में पार्षद रहे भूषण का नाम आगे किया जा रहा है। लेकिन पुख्ता जानकारी के अनुसार कुछ पार्षद इसका विरोध कर रहे है व उनका कहना है कि मेयर व डिप्टी मेयर के पद पर दोनों आरक्षित लोग बैठते है तो चुनाव मे इसका अच्छा संदेश नहीं जाएगा व अन्य वर्गों के लोग नाराज भी हो सकते है।

इस सारे मामले का दूसरा पहलू ये भी है कि अगर राजीव कौड़ा अपने पद से त्यागपत्र देते है तो क्या जिलाधीश उन्हे जल्द ही दूसरे को विश्वासमत हासिल करने के लिए बुलाती है या फिर बद्दी नगर परिषद की तरह इंतजार करवाती है। वहाँ पर भी सरकार के दवाब के चलते बैठक का आयोजन ही नहीं हुआ था व किसी को विश्वास साबित करने का मौका ही नहीं दिया था। जैसे ही गेंद भाजपा के पाले मे गई थी तब ही विश्वास प्रस्ताव पारित हुआ व भाजपा वहां काबिज हुई थी। ऐसा ही खेला यहां खेला गया तो तो कांग्रेस औंधे मुंह गिर जाएगी व फिलहाल बेकफूट पर चल रही भाजपा नगर निगम मे कांग्रेस को पटखनी देने में जरूर कामयाब हो जाएगी।
                                                इसके बाद क्या हो सकता है वो अगले संस्करण में

Vishal Verma

20 वर्षों के अनुभव के बाद एक सपना अपना नाम अपना काम । कभी पीटीसी चैनल से शुरू किया काम, मोबाईल से text message के जरिये खबर भेजना उसके बाद प्रिंट मीडिया में काम करना। कभी उतार-चड़ाव के दौर फिर खबरें अभी तक तो कभी सूर्या चैनल के साथ काम करना। अभी भी उसके लिए काम करना लेकिन अपने साथियों के साथ third eye today की शुरुआत जिसमें जो सही लगे वो लिखना कोई दवाब नहीं जो सही वो दर्शकों तक