एम् एम् यू में कुछ अलग करने के लिए रचनात्मक ढंग से सोचने के लिए एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन

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श्री अजय सिंगल एम् एम् यु के रजिस्ट्रार ने बताया कि एम् एम् मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल द्वारा संस्था नवाचार परिषद (आईआईसी) के सहयोग से एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला का विषय था ‘कुछ अलग करने के लिए रचनात्मक ढंग से सोचना’। इस कार्यशाला का उद्देश्य छात्रों को रचनात्मक सोच के प्रति बढ़ावा देना था जो उन्हें स्पष्ट से परे देखने, असंबद्ध बिंदुओं को जोड़ने और नए, नवीन विचारों के साथ आने में मदद करेगा।

सत्र के लिए डॉ. आशु खोसला को अतिथि वक्ता के रूप में आमंत्रित किया गया था जो की एक शिक्षाविद और विपणन, रचनात्मकता और नवाचार में विशेषज्ञ और निर्यात के अलावा ‘लर्निंग- भारत और संयुक्त अरब अमीरात में कॉर्पोरेट के लिए एक इनोवेटिव लर्निंग सॉल्यूशंस प्रदाता’ के संस्थापक भी हैं। सत्र के दौरान उन्होंने रचनात्मक सोच पर अपने विचार साझा करते हुए छात्रों और शिक्षकों के साथ बातचीत की। उन्होंने रचनात्मकता के चार मुख्य क्षेत्रों को छुआ; सचेत अवलोकन, सहानुभूति की शक्ति, बाधाएं और सृजन के लिए संयोजन। उन्होंने इस बात पर विचार-विमर्श किया कि कैसे रचनात्मक सोच किसी व्यक्ति, चाहे वह छात्र हो या संकाय, को समस्याओं के नए और अभिनव समाधान खोजने में मदद कर सकती है। उन्होंने सभी को रचनात्मकता की अवधारणा को समझाने के लिए बहुत ही सरल और सामान्य उदाहरण भी दिए।

कुलपति, डॉ. सतिंदर सिंह मिन्हास, भी सत्र में मौजूद रहे उन्होंने कहा कि रचनात्मकता विशेष रूप से सभी विषयों के छात्रों के लिए एक मूल्यवान कौशल है, क्योंकि उन्हें अक्सर ऐसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। रचनात्मक सोच होने से आप आसानी से हर मुश्किल को सुलझा सकते हैं और अपने करियर और जीवन में आगे बढ़ सकते हैं, इसके लिए अलग-अलग शैलियों में लिखने की कोशिश करें, पहेलियों को सुलझाने की कोशिश करें, किसी समस्या को हल करने के लिए दूसरों से अलग दृष्टिकोण तलाशें। यह बहुत ज़रूरी है कि आप जिज्ञासु बने रहें क्योंकि यह आपको नए अवसरों के लिए खोलता है और समस्याओं को रचनात्मक तरीके से हल करने में आपकी मदद करता है। जिज्ञासु बने रहने से आपको अपनी रचनात्मक सोच कौशल विकसित करने में मदद मिलती है। जिज्ञासु बने रहने से आपको अधिक ज्ञान प्राप्त करने में मदद मिलेगी, और आप खुद को कई नए अनुभवों के लिए खोल पाएंगे।

डॉ. रवि चंद शर्मा, प्राचार्य एमएम मेडिकल कॉलेज, श्री. अजय सिंगल, रजिस्ट्रार, एमएमयू-सोलन, डॉ. जे.एस. संधू, उप-प्रिंसिपल, एमएम मेडिकल कॉलेज और डॉ. जे.जी. वोहरा ने भी अपनी उपस्थिति से कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई और साथ ही साथ छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि रचनात्मक रूप से सोचना आपको एक बेहतर समस्या-समाधानकर्ता बनाता है, जिसका आपके काम और व्यक्तिगत जीवन दोनों में दूरगामी लाभ होता है ।

कार्यशाला में एमएम विश्वविद्यालय के सभी पाठ्यक्रमों के 400 से अधिक छात्रों और संकाय सदस्यों ने भी भाग लिया।

Vishal Verma

20 वर्षों के अनुभव के बाद एक सपना अपना नाम अपना काम । कभी पीटीसी चैनल से शुरू किया काम, मोबाईल से text message के जरिये खबर भेजना उसके बाद प्रिंट मीडिया में काम करना। कभी उतार-चड़ाव के दौर फिर खबरें अभी तक तो कभी सूर्या चैनल के साथ काम करना। अभी भी उसके लिए काम करना लेकिन अपने साथियों के साथ third eye today की शुरुआत जिसमें जो सही लगे वो लिखना कोई दवाब नहीं जो सही वो दर्शकों तक