एम्स बिलासपुर काउंसलिंग में फर्जी दस्तावेजों से बड़ा खुलासा, बिहार की युवती के खिलाफ FIR
एम्स बिलासपुर में एमबीबीएस बैच-2025 की पहली काउंसलिंग के दौरान शुक्रवार को एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। दस्तावेजों की जांच के दौरान पता चला कि एक महिला अभ्यर्थी ने चयन प्रक्रिया में शामिल होने के लिए फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल किया। जैसे ही यह गड़बड़ी उजागर हुई, एम्स प्रशासन ने मामले को गंभीरता से लेते हुए तुरंत पुलिस को सूचित किया।
पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार आरोपी युवती की पहचान बिहार के लखीसराय जिले के वार्ड-28, नया बाजार स्थित कुशवाहा मार्केट निवासी अंकिता भारती के रूप में हुई है। अंकिता बतौर अभ्यर्थी दस्तावेज सत्यापन के लिए एम्स बिलासपुर पहुंची थी। जब समिति ने उसके दस्तावेजों को मेडिकल काउंसलिंग कमेटी (MCC) की ओर से जारी चयन सूची से मिलाया, तो उसका नाम सूची में नहीं मिला। यहीं से समिति को संदेह हुआ।
जांच में जब अंकिता से उसकी NEET-UG रैंक की पुष्टि के लिए लॉगिन आईडी और पासवर्ड मांगा गया तो उसने पासवर्ड काम न करने का बहाना बनाया। इसके बाद जब स्कोर कार्ड मांगा गया तो उसने बेहद धुंधला और अपठनीय दस्तावेज प्रस्तुत किया। इतना ही नहीं, उसने मोबाइल पर कुछ स्क्रीनशॉट भी दिखाए, जिनमें उसका पर्सेंटाइल 84 और अंक 590 बताए गए थे। हालांकि, समिति ने जब इनकी तुलना अन्य अभ्यर्थियों के विवरण से की तो गड़बड़ी स्पष्ट हो गई।
अंततः जब आधिकारिक वेबसाइट से उसका वास्तविक स्कोर कार्ड निकाला गया, तो उसमें केवल 30 अंक और लगभग 20 लाख की ऑल इंडिया रैंक दर्ज पाई गई। इससे यह साफ हो गया कि अंकिता ने काउंसलिंग में फर्जी दस्तावेज पेश किए थे। एम्स प्रशासन ने तत्काल लिखित शिकायत बिलासपुर के सदर थाना पुलिस को दी। इसके आधार पर पुलिस ने अंकिता भारती के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 318(4) के तहत FIR दर्ज की। अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक शिव चौधरी ने बताया कि प्राथमिक पूछताछ में अंकिता ने स्वीकार किया है कि उसने रैंक कार्ड और प्रोविजनल अलॉटमेंट लेटर में हेराफेरी की थी।
एम्स प्रशासन ने इस पूरे मामले से जुड़े सभी दस्तावेज पुलिस को सौंप दिए हैं। अब पुलिस यह जांच कर रही है कि इस फर्जीवाड़े में और कौन-कौन शामिल हो सकता है तथा कहीं इसके पीछे कोई संगठित नेटवर्क तो काम नहीं कर रहा।