एक दौर था जब सीएम सुक्खू की पत्नी ने छोड़ी थी सरकारी नौकरी, अब मिला टिकट
हिमाचल प्रदेश में बीते दिनों चार विधानसभा उपचुनाव जीतकर कांग्रेस सरकार को संकट से उबारने के बाद मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू की अब एक और बड़ी परीक्षा होने जा रही है। हाईकमान के निर्देश पर पार्टी की मजबूती के लिए मुख्यमंत्री ने अपनी पत्नी कमलेश ठाकुर को चुनाव मैदान में उतारने का फैसला लिया है। देहरा के विधानसभा उपचुनाव में पत्नी कमलेश को बेशक पार्टी प्रत्याशी बनाया गया है, लेकिन चुनाव मुख्यमंत्री के रसूख से ही लड़ा जाएगा। वर्ष 2012 में अस्तित्व में आए देहरा हलके में कांग्रेस को अभी तक जीत नसीब नहीं हुई है। पार्टी सर्वेक्षण में अव्वल रही कमलेश ठाकुर के जरिये कांग्रेस ने महिला फैक्टर के माध्यम से वोटरों को रिझाने की रणनीति तैयार की है।
पार्टी सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू देहरा के विधानसभा उपचुनाव के लिए किसी अन्य नेता को चुनाव मैदान में उतारने के हक में थे, लेकिन हाईकमान ने उनकी पत्नी कमलेश ठाकुर को प्रत्याशी बनाने के निर्देश दिए। इस जद्दोजहद के चलते ही पार्टी प्रत्याशी की घोषणा होने में देरी हुई। मुख्यमंत्री ने हाईकमान के निर्देशों का पालन करते हुए कमलेश को प्रत्याशी बनाने के लिए हामी भरी। देहरा विधानसभा क्षेत्र मुख्यमंत्री सुक्खू के गृह संसदीय क्षेत्र हमीरपुर के तहत आता है।
प्रदेश की सत्ता पर काबिज होने के बाद से मुख्यमंत्री देहरा में विकास कार्यों को प्राथमिकता देते आए हैं। ‘देहरा कोई नहीं तेरा’ की एक कहावत को भी मुख्यमंत्री ने बीते वर्ष एक सार्वजनिक कार्यक्रम के तहत बदलने की बात कर कहा था – देहरा है मेरा। मुख्यमंत्री ने कहा था – देहरा मेरा ससुराल क्षेत्र है। ऐसे में मैं भी देहरा का हूं। इसी कड़ी में अब मुख्यमंत्री ने पार्टी हित में फैसला लेते हुए अपनी पत्नी कमलेश ठाकुर को प्रत्याशी बनाकर चुनाव मैदान में उतारा है।
धरती पुत्र बनाम देहरा की बेटी
देहरा उपचुनाव में कांग्रेस ने मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू की धर्मपत्नी कमलेश ठाकुर को उतारकर होशियार सिंह के चेहरे के साथ जीत की तलाश में आगे बढ़ रही भाजपा के गणित को उलझा कर रख दिया है। होशियार के धरती पुत्र के नारे की काट में कांग्रेस ने देहरा की बेटी पर विश्वास जताया है। नामांकन से पहले ही रोचक हो चुकी देहरा की जंग में अब सीधे तौर पर कड़े मुकाबले के आसार हैं।
हिमाचल के सियासी इतिहास को देखें तो ऐसा पहली बार होगा जब प्रदेश के मुख्यमंत्री की धर्मपत्नी विधानसभा के समर में बतौर प्रत्याशी मैदान में होंगी। सीएम सुक्खू का पैतृक गांव देहरा हलके का ढोंटा है। दशकों पहले यहीं से उनके दादा-परदादा नादौन शिफ्ट हुए थे। उनकी धर्मपत्नी कमलेश ठाकुर का मायका साथ लगते जसवां परागपुर हलके में जरूर है लेकिन, प्रशासनिक उपमंडल देहरा ही है। वह खुद को कांगड़ा का बताते रहे हैं। उप चुनाव की जंग में सीएम इस कार्ड को खेलकर स्थानीय जन भावनाओं को धर्मपत्नी कमलेश के पक्ष में भुनाने की भरसक कोशिश कर सकते हैं।
देहरा का रण प्रदेश भाजपा के लिए भी प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है। लोकसभा के साथ हुए उपचुनाव में चार सीटों पर हुई हार के बाद पार्टी अब और झटका खाने की स्थिति में नहीं है। उपचुनाव हारे तो सीएम सुक्खू की अगले तीन साल घेराबंदी विपक्ष के लिए आसान नहीं होगी। देहरा की जंग में सीएम सुक्खू की हार प्रदेश में भविष्य की सियासत के लिए भाजपा को ऑक्सीजन देने का काम करेगी।