हिमाचल प्रदेश सरकार ने वार्षिक योजना 2023-24 का वार्षिक परिव्यय 9523.82 करोड़ रुपये प्रस्तावित किया है। यह जानकारी मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने ऊना, हमीरपुर, कुल्लू और सिरमौर जिला के विधायकों की प्राथमिकताओं को निर्धारित करने के लिए बुधवार को सचिवालय में आयोजित बैठक की अध्यक्षता करते हुए दी। उन्होंने कहा कि विधायक भविष्य की चुनौतियों का समाधान करने के दृष्टिकोण से अपनी प्राथमिकताएं प्रस्तुत करें। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार का बजट आगामी पांच वर्ष की दिशा तय करेगा। सुक्खू ने कहा कि बैठक में विचार-विमर्श से प्रदेश में विकास की दिशा तय करने के लिए महत्वपूर्ण सुझाव प्राप्त होंगे। राज्य के लिए वित्तीय अनुशासन की जरूरत है, जिसमें विपक्ष का सहयोग आवश्यक है। राज्य को आत्मनिर्भर बनाने के लिए खर्चे घटाने होंगे। सीएम ने कहा कि सरकार सभी क्षेत्रों के संतुलित विकास और सभी वर्गों के कल्याण के लिए वचनबद्ध है।
उन्होंने अधिकारियों को संतुलित योजनाएं तैयार करने और इनके कार्यान्वयन को गति देने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि सरकार पर्यटन क्षेत्र के विकास के साथ पर्यावरण संरक्षण के दृष्टिगत इलेक्ट्रिक वाहन अपनाने पर ध्यान दे रही है। सरकार भ्रष्टाचार के प्रति शून्य सहिष्णुता अपनाएगी। जनता की शिकायतों को प्रभावी ढंग से सुलझाया जाएगा। व्यवस्था में परिवर्तन के जरिये सभी लक्ष्य हासिल किए जाएंगे। टेंडर की अधिसूचना के लिए सात दिन, जबकि टेंडर अवार्ड करने के लिए 20 दिन निर्धारित किए गए हैं। सुक्खू ने प्रशासनिक सचिवों, विभागाध्यक्षों तथा उपायुक्तों से आग्रह किया कि विधायकों की ओर से उठाई गई समस्याओं व शिकायतों को निपटाने में कोताही न बरतें और उनके बहुमूल्य सुझावों पर आवश्यक कार्रवाई करें।
सीएम ने लोक निर्माण व जल शक्ति विभाग को निर्देश दिए कि नाबार्ड के तहत वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए 962 करोड़ के बजट का पूर्ण उपयोग करें और नाबार्ड कार्यालय में प्रतिपूर्ति दावे 15 मार्च, 2023 से पहले जमा करें। उन्होंने विधायकों की ओर से दी गई योजनाओं की परियोजना रिपोर्ट बनाने में होने वाले विलंब को कम करने के लिए एफसीए, एफआर और गिफ्ट डीड आदि औपचारिकताओं का समयबद्ध निराकरण करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि संबंधित विभाग और उपायुक्त हर माह प्राथमिकताओं की समीक्षा कर रिपोर्ट सरकार को भेजें।