अवमानना मामले में प्रशांत भूषण ने नहीं मांगी माफी, सुप्रीम कोर्ट ने फैसला रखा सुरक्षित
अवमानना के लिए दोषी ठहराए गए वकील प्रशांत भूषण के मामले में मंगलवार को सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया है। प्रशांत भूषण की सजा पर फैसला सुरक्षित रखा गया है। ये सजा कब सुनाई जाएगी, सुप्रीम कोर्ट ने अभी ये निर्धारित नहीं किया है। घंटों चली सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की कि भूषण को चेतावनी देकर छोड़ दिया जाना चाहिए, उन्हें सजा न दी जाए। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्रशांत भूषण को बोलने की स्वतंत्रता है, लेकिन उनका कहना है कि वह अवमानना के लिए माफी नहीं मांगेंगे। कोर्ट ने कहा कि अदालत केवल अपने आदेश के जरिए ही अपनी बात रख सकती है। अपने हलफनामे में भी प्रशांत भूषण ने अपमानजनक टिप्पणी की है।
सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल ने कहा कि न्यायपालिक में करप्शन को लेकर कई पूर्व जज बोल चुके हैं। लिहाजा भूषण को एक चेतावनी देकर छोड़ दिया जाना चाहिए। ऐसे बयान सिर्फ कोर्ट को बताने के लिए दिए जाते हैं कि आप अस्पष्ट दिख रहे हैं और आपमें भी सुधार की जरूरत है। उन्हें सिर्फ ऐसे बयान दोबारा नहीं देने की चेतावनी देकर छोड़ देना चाहिए। बता दे प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट और चीफ जस्टिस ऑफ़ इंडिया को लेकर एक फोटो के साथ दो ट्वीट किये थे। इसे सुप्रीम कोर्ट ने अवमानना माना और ट्वीट को संज्ञान में लेते हुए प्रशांत भूषण को तलब किया था। इस मामले में सुनवाई हुई और सुप्रीम कोर्ट ने 24 अगस्त तक माफ़ी मांगने को कहा था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अगर वह माफ़ी मांगते हैं तो बिना किसी शर्त के उन्हें माफ़ कर दिया जाएगा। प्रशांत भूषण ने माफ़ी मांगने से इनकार करते हुए कहा था कि अगर उन्होंने ऐसा किया तो ये उनकी अंतरात्मा की अवमानना होगी. उन्होंने यह भी कहा था कि उन्हें दया नहीं चाहिए।



