सोशल मीडिया पोस्ट पर नहीं भेज सकेंगे किसी को जेल , सुप्रीम कोर्ट ने निरस्त की धारा 66ए

Spread the love

अब सोशल मीडिया(Social Media) पोस्ट के नाम पर किसी को जेल नहीं भेजा जा सकेगा। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने धारा 66ए अंसवैधानिक(Unconstitutional) करार देते हुये रद्द कर दिया है। न्यायालय ने अहम फैसला सुनाते हुए कहा कि आईटी एक्ट की यह धारा संविधान के अनुच्छेद 19(1) ए का उल्लंघन है, जोकि भारत के हर नागरिक को “भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार” देता है। कोर्ट ने कहा, धारा 66ए अभिव्यक्ति की आजादी के मूल अधिकार का हनन है।

सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि सोशल मीडिया पोस्ट के आधार पर किसी की गिरफ्तारी अब नहीं होगी। लेकिन सरकार-प्रशासन किसी पोस्ट को विवादित मानता है तो उसको हटवा सकता है। अदालत के आदेश के बाद अब फेसबुक, ट्विटर, लिंकड इन, व्हाट्स एप सरीखे सोशल मीडिया माध्यमों पर कोई भी पोस्ट डालने पर किसी की गिरफ्तारी नहीं होगी। इससे पहले धारा 66 ए के तहत पुलिस को ये अधिकार था कि वो इंटरनेट पर लिखी गई बात के आधार पर किसी को गिरफ्तार कर सकती थी। सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिकाओं में आईटी एक्ट की धारा 66ए को चुनौती दी गई थी। याचिकाकर्ता श्रेया सिंघल ने इस फैसले को बड़ी जीत बताते हुए कहा, सुप्रीम कोर्ट ने लोगों के भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार को कायम रखा है।

धारा 66A में लिखा है….

*”कोई शख्स जो कंम्प्यूटर या फिर कम्युनिकेशन डिवाइस के जरिए भेजता है”

*कोई भी ऐसी सूचना जो आपत्तिजनक हो या फिर जिसका मकसद चरित्रहनन का हो।

*कोई भी सूचना जो झूठी है, पर इलेक्टॉनिक डिवाइसेज के जरिए उस सूचना का इस्तेमाल किसी शख्स को परेशान करने, असुविधा पहुंचाने, खतरा पैदा करने, अपमान करने व चोट पहुंचाने के लिए किया जाए।

*कोई भी इलेक्ट्रॉनिक मेल या इलेक्ट्रॉनिक मैसेज, जिसके जरिए किसी को व्यर्थ परेशान करने या उसके लिए समस्याएं बढ़ाने के लिए किया जाए। तो ऐसा करने वाले शख्स को जेल भेजा जाएगा। दोषी को दो-तीन साल की सजा हो सकती है साथ में जुर्माना भी लगाया जा सकता है। यदि कोई व्यक्ति ऐसा करते हुए पाया जाता है तो पुलिस उसे 66A के तहत गिरफ्तार कर उसे कोर्ट में पेश कर सकती है। इसके साथ ही उस पर संबंधित मामले में उपयुक्त अन्य धाराएं जोड़ कर भी मुकदमा चला सकती है।

Third Eye Today

We’ve built a community of people enthused by positive news, eager to participate with each other, and dedicated to the enrichment and inspiration of all. We are creating a shift in the public’s paradigm of what news should be.