Third Eye Today News

अपने भीतर के राम को पहचानिए! गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर

Spread the love

रामायण न केवल एक ऐतिहासिक ग्रंथ है, बल्कि यह हमारे भीतर चलने वाली आध्यात्मिक यात्रा का भी प्रतीक है। इसके सभी पात्र और घटना हमारे जीवन के किसी न किसी पहलू को दर्शाते हैं।

राम का अर्थ प्रकाश, दिव्यता और आत्मा से है। यह हमारे भीतर की चेतना है, जो हमें सही मार्ग पर ले जाती है। जब भीतर का प्रकाश जाग्रत होता है, तब सच्चे अर्थों में राम हमारे भीतर जन्म लेते हैं। दशरथ का अर्थ “दस रथ” अर्थात् दस इंद्रियाँ – पाँच ज्ञानेंद्रियाँ (आँख, कान, नाक, जीभ, त्वचा) और पाँच कर्मेंद्रियाँ (हाथ, पैर, मुँह, गुदा, जननेंद्रिय) हैं। जब ये इंद्रियाँ संतुलित होती हैं और कुशलता (कौशल्या) से जुड़ती हैं, तब आत्मा रूपी श्रीराम का जन्म होता है। यह दर्शाता है कि जब हम अपने इंद्रियों को नियंत्रित करते हैं और कुशलता से कार्य करते हैं, तब हमारे भीतर दिव्यता प्रकट होती है।

लक्ष्मण जागरूकता का प्रतीक हैं, जो आत्मा के साथ हमेशा रहती है। भरत चमक और प्रतिभा को दर्शाते हैं, जो हमारे भीतर की सकारात्मक ऊर्जा है। शत्रुघ्न का अर्थ “शत्रु का नाश करने वाला” होता है। जब भीतर शत्रु उत्पन्न ही नहीं होते, तो हमें उनसे लड़ने की आवश्यकता ही नहीं होती। यह दर्शाता है कि आत्मा जब जागृत होती है, तो सभी नकारात्मक भाव समाप्त हो जाते हैं।

अयोध्या हमारे शरीर का प्रतीक है, जो वध करने लायक नहीं है। हमारा शरीर एक मंदिर है, जिसमें आत्मा रूपी राम का वास होता है। जब हमारा मन और आत्मा संतुलन में होते हैं, तब हम सच्चे अर्थों में अयोध्या में निवास करते हैं। सीता मन का प्रतीक हैं। जब मन लोभ और मोह के वशीभूत हो जाता है, तब अहंकार रूपी रावण उसे हरण कर लेता है। यही कारण है कि जब हम अपने मन को विषय-वासना और अहंकार में उलझा देते हैं, तो हमारा जीवन असंतुलित हो जाता है।

 

हनुमान प्राण-शक्ति के प्रतीक हैं। जब आत्मा और मन अलग हो जाते हैं, तब प्राण-शक्ति (हनुमान) ही उन्हें पुनः जोड़ने का कार्य करती है। इसलिए हनुमान को भक्ति और समर्पण का प्रतीक माना जाता है। जब हम अपने भीतर की ऊर्जा को सही दिशा में लगाते हैं, तब हमारी आत्मा और मन का मिलन संभव होता है। यह पूरी कथा हमारे भीतर निरंतर घटित होती रहती है। जब हमारा मन लोभ में फँसकर भटक जाता है, तब अहंकार रूपी रावण उसे हर लेता है। लेकिन जब हम अपनी प्राण-शक्ति को जाग्रत करते हैं और आत्मा की ओर बढ़ते हैं, तब हमारा मन पुनः शुद्ध होकर अपने वास्तविक स्थान (अयोध्या) में लौट आता है।

रामायण केवल एक धार्मिक कथा नहीं, बल्कि हमारे भीतर की आध्यात्मिक यात्रा का प्रतिबिंब है। आत्मा (राम), जागरूकता (लक्ष्मण), ऊर्जा (भरत), और मानसिक शांति (शत्रुघ्न) जब संतुलन में होते हैं, तभी जीवन में सच्चा आनंद संभव होता है। तभी वास्तविक रूप से राम नवमी का उत्सव सार्थक होता है। आइए, इस राम नवमी अपने भीतर के राम को जाग्रत करें और अपने जीवन को सत्य, प्रेम और प्रकाश से आलोकित करें।

Vishal Verma

20 वर्षों के अनुभव के बाद एक सपना अपना नाम अपना काम । कभी पीटीसी चैनल से शुरू किया काम, मोबाईल से text message के जरिये खबर भेजना उसके बाद प्रिंट मीडिया में काम करना। कभी उतार-चड़ाव के दौर फिर खबरें अभी तक तो कभी सूर्या चैनल के साथ काम करना। अभी भी उसके लिए काम करना लेकिन अपने साथियों के साथ third eye today की शुरुआत जिसमें जो सही लगे वो लिखना कोई दवाब नहीं जो सही वो दर्शकों तक