अजय भास्कर भाई आप यूं चले जायेंगे सोचा न था

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अपनी कलम का लोहा मनवाने वाले अजय भास्कर अब इस दुनिया में नहीं रहे। काफी समय से बीमार चल रहे अजय भास्कर ने सुबह 3 बजे अंतिम सांस ली। अपनी बातों से सबको हंसाने वाले सबको मंत्रमुग्ध करने वाले अजय भास्कर का पत्रकारिता में अच्छा खासा अनुभव था। तेजतर्रार पत्रकारों में वो शुमार थे व अपनी लेखनी से न जाने कितने घोटाले, लोगों की समस्याओं को उन्होंने उजागर किया। पत्रकारिता की दुनिया में कोई ही ऐसा होगा जो उन्हें न जानता होगा। आनी वाली 20 जुलाई को वो 53 वर्ष के हो जाने थे। साल 1970 को जन्मे अजय भास्कर न सिर्फ पत्रकारिता बल्कि नेकदिल इंसान के रूप में भी अपनी छाप छोड़ गए।
उनका एक किस्सा मुझे आजतक बहुत अच्छे से याद है। आप सब ने शिमला के विधानसभा के पास छोटा शिमला में स्वर्गीय पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी का स्टेचू देखा होगा। उसको लगाने का श्रेय भी अजय भास्कर को जाता है। बात तब कि है जब राजीव गांधी की मृत्यु हुई उसके कुछ समय बाद अजय भास्कर ने जहां आज स्टेचू है वहां पर एक राजीव गांधी का लकड़ी के सहारे एक पोस्टर लगा दिया। रोज वो पोस्टर गिरता व रोज वो उसे सीधा करते। ऐसा क्रम काफी दिनों तक चलता रहा। इसकी सूचना जब राजा वीरभद्र सिंह को हुई तो उन्होंने वहां पर फिर पक्का स्टेचू बनाया। अजय भाई इसका जिक्र खुद तो नहीं करते थे लेकिन उनके जानने वाले जब उनकी बात को सांझा करते तो अजय भाई सिर्फ हल्का सा मुस्करा देते।
आज आप हमें छोड़ कर चले गए भाई पर आप हमेशा हमारे दिल में रहेंगे।
जिला सोलन पत्रकार संघ आपकी मृत्यु पर क्या कहे समझ से परे है बस अब आप जिस दुनिया में चले गए है वहां भी अपनी मुस्कान बिखरते रहे।
भाई का अंतिम संस्कार 3 बजे शिमला के बाई पास में कनलोग में होगा।

Vishal Verma

20 वर्षों के अनुभव के बाद एक सपना अपना नाम अपना काम । कभी पीटीसी चैनल से शुरू किया काम, मोबाईल से text message के जरिये खबर भेजना उसके बाद प्रिंट मीडिया में काम करना। कभी उतार-चड़ाव के दौर फिर खबरें अभी तक तो कभी सूर्या चैनल के साथ काम करना। अभी भी उसके लिए काम करना लेकिन अपने साथियों के साथ third eye today की शुरुआत जिसमें जो सही लगे वो लिखना कोई दवाब नहीं जो सही वो दर्शकों तक