हैदराबाद एनकाउंटर पर पुलिस की कार्यप्रणाली पर उठने लगे सवाल

हैदराबाद में 27 नवंबर की रात महिला डॉ से गैंगरेप करने वाले चारों आरोपियों को पुलिस ने एनकाउंटर में मार गिराया है। पीड़िता के परिवार ने इस एनकाउंटर को सही बताया है। पुलिस को ‘थैंक्यू’ कहा है। और कहा है कि इससे उनकी बेटी की आत्मा को शांति मिलेगी। इस पर भूख हड़ताल पर बैठी दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्षा स्वाति मालीवाल ने खुशी जाहिर की है। वहीं निर्भया की मां ने भी इसके लिए हैदराबाद पुलिस को बधाई दी है। पुलिस द्वारा किए इस एनकाउंटर को कुछ लोग सही बता रहे रहे तो वही दूसरी और सवाल भी उठने लगे है।
भारतीय जनता पार्टी की सांसद मेनका गांधी ने भी एनकाउंटर पर सवाल उठाते हुए कहा है कि यह बहुत भयानक है। उन्हें फांसी की सजा मिलती, आप कानून को हाथ में नहीं ले सकते। आरोपियों को न्यायिक प्रक्रिया के तहत सजा मिलनी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट की वकील करुणा नंदी ने ट्वीट कर कहा, ‘अब कोई कभी भी ये नहीं जान सकेगा कि मारे गए चारों लोग सच में दोषी थे या नहीं। पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए चार को गिरफ्तार किया था। हो सकता है कि असली रेपिस्ट अभी भी खुले घूम रहे हों। ताकि वो और औरतों का रेप कर सकें।
वहीं सुप्रीम कोर्ट की वकील वृंदा ग्रोवर ने पुलिस पर मुकदमा दर्ज करने की मांग की। उन्होंने कहा कि पुलिस पर मुकदमा दर्ज किया जानिए और पूरे मामले की स्वतंत्र न्यायिक जांच कराई जानी चाहिए। महिला के नाम में कोई भी पुलिस एनकाउंटर करना गलत है।
राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने कहा कि किसी भी मामले में एनकाउंटर करना ठीक नहीं है। उन्होंने कहा कि पुलिस दावा कर रही है कि आरोपी पुलिस की बंदूक छीनकर भागने के फिराक में थे। ऐसे में शायद उनका फैसला सही रहा होगा। हमारी मांग है कि इस तरह के मामले में आरोपियों को फांसी की सजा दी जाए लेकिन कानूनी प्रक्रिया के तहत उन्हें सजा मिले। रेखा शर्मा ने कहा कि हम चाहते हैं कि इस तरह के मामलों की जल्द से जल्द जांच की जाए और कानूनी प्रक्रिया के तहत ही आरोपियों को मौत की सजा दी जाए। उन्होंने कहा कि आज भले ही चारों आरोपियों का एनकाउंटर किया गया है और इस घटना के बाद लोग खुश हैं लेकिन हमारा संविधान है और कानूनी प्रक्रिया है।
इसके अलावा एनकाउंटर के तरीके पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। ये हैं कुछ सबसे बड़े सवाल:-
– एनकाउंटर के वक्त आरोपियों के हाथों में हथकड़ी थी या नहीं? अगर नहीं, तो क्यों?
– क्या क्राइम सीन पर ले जाने के बाद उनकी हथकड़ी खोली गई थी?
– ऐसा क्या हुआ कि चारों भागने लगे?
– किस तरह पुलिस को चारों को गोली मारनी पड़ी?
– गोली कहां मारी गई?
– सुरक्षा के कड़े इंतजाम क्यों नहीं थे?
– क्या इस तरह के चारों को मार देना किसी तरह की हड़बड़ी नहीं दिखाता?
– आरोपियों के पैर में गोली मारकर उन्हें क्यों नहीं रोका गया?
– क्या सच में रेप करने वालों का ही एनकाउंटर हुआ है? कहीं जल्दबाजी में निर्दोष तो नहीं मारे गए?
– कहा जा रहा है कि क्रॉस फायरिंग हुई थी। यानी आरोपियों ने पहले पुलिस पर हमला किया होगा। कैसे? उनके पास बंदूक कैसे आ गई? इससे तो यही लगता है कि आरोपियों ने पहले पुलिस से बंदूक छुड़ाई होगी, फिर फायरिंग की होगी। अगर ऐसा हुआ होगा, तो सवाल उठता है कि आरोपी तभी पुलिस से बंदूक छुड़ा सकते हैं, जब उनके हाथ में हथकड़ी न हो। यानी क्राइम सीन पर ले जाने के बाद उनकी हथकड़ी खोली गई होगी।
– एक हफ्ते से चारों पुलिस की कैद में थे, जमकर पिटाई हुई होगी, अधमरी जैसी हालत हो गई होगी, ऐसे में चारों के अंदर कितना दम बचा होगा कि ढेर सारे पुलिसवालों के सामने से वो भागने की कोशिश करने लगे। और ऐसा भागे कि उन्हें रोकने के लिए पुलिस को उन्हें मारना पड़ गया?
रिपोर्ट की माने तो 5 दिसंबर की देर रात हैदराबाद पुलिस चारों आरोपियों को नेशनल हाईवे-44 पर क्राइम सीन रिक्रिएट कराने के लिए लेकर गई थी। पुलिस ने जैसे ही चारों आरोपियों को वैन से नीचे उतारा तो इस केस का जो प्रमुख आरोपी था उसने अन्य तीन आरोपियों को भागने का इशारा किया। पुलिस ने चारों को रूकने की चेतावनी भी दी लेकिन जब वे नहीं रूके तो पुलिस ने उनको भी मार गिराया।

