हिमाचल में पुलिसकर्मी वर्दी में नहीं बना सकेंगे Reel व Video, DGP ने जारी किए आदेश

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निसंदेह, सोशल मीडिया का दौर है। सोशल मीडिया पर ख्याति के लिए रील  एक जबरदस्त माध्यम है। आम के आम गुठलियों के दाम उस समय हो जाते है, यदि पेज या फिर चैनल मॉनिटीज़ेड हो। यानि, वेतन के साथ -साथ अतिरिक्त कमाई का जुगाड़ भी हो जाता है। हिमाचल प्रदेश के पुलिस कर्मियों में भी रील  व वीडियो बनाने की जबरदस्त खुमारी है। महिला पुलिसकर्मी भी पीछे नहीं है। ये, ड्यूटी के दौरान भी खास पलों को कैद करने से नहीं चूकते है।

 हिमाचल प्रदेश के पुलिस महानिदेशक ने पुलिसकर्मियों को सोशल मीडिया वर्दी में रील या अन्य तरह का वीडियो इत्यादि बनाने पर रोक लगा दी है। आदेश में डीजीपी डॉ.अतुल वर्मा ने कहा कि लापरवाही को गंभीरता से लिया जाएगा। डीजीपी ने कहा कि ऐसा संज्ञान में आया है कि कुछ पुलिस अधिकारी व कर्मचारी वर्दी में फोटो, वीडियो, रील या स्टोरी पोस्ट अपलोड करते है, जिनका ड्यूटी से कोई लेना देना नहीं  होता है। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ऐसी सामग्री पुलिस विभाग के नियमों एवं मानकों के विरुद्ध है।

पुलिस महानिदेशक  ने जिला पुलिस अधीक्षक, कमांडेंट, यूनिट प्रभारी और पर्यवेक्षी अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे अपने अधीनस्थ कर्मियों को जागरूक करें कि सोशल मीडिया पर पुलिस वर्दी में पोस्टिंग, वीडियो, रील या कहानियां पोस्ट करने से बचें। पुलिस कर्मियों को अपने निजी सोशल मीडिया खातों पर विभाग और आधिकारिक कार्यों की जानकारी साझा करने से भी परहेज करे।

हिमाचल प्रदेश पुलिस के जवानों पर भी रील बनाने का फीवर चढ़ा हुआ था। आलम यह हो गया था कि कार्यालय आने-जाने से लेकर पुलिस व्हीकल  का इस्तेमाल भी रील बनाने के लिए किया जा रहा था। सोशल मीडिया पर रील्स पर गजब व्यूज भी आते हैं।

 बता दे कि हिमाचल प्रदेश पुलिस जवानों द्वारा बनाई जा रही रील को लेकर सामाजिक कार्यकर्ता अभिषेक गोस्वामी ने आपत्ति जाहिर की थी। उन्होंने हिमाचल के मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना, गृह सचिव ओंकार चंद शर्मा और पुलिस महानिदेशक डॉ. अतुल वर्मा को शिकायत दी थी। गोस्वामी ने पुलिस वर्दी  का इस्तेमाल निजी फायदे के लिए करने के लिए कही थी। उन्होंने कहा था कि पुलिस जवान वर्दी में मॉडलिंग करते हुए दिखाई देते हैं। .

पुलिस वर्दी का महत्व
पुलिस की वर्दी जनता के प्रति प्रतिबद्धता, समर्पण और जवाबदेही का प्रतीक है। इसलिए, किसी भी सार्वजनिक या डिजिटल मंच पर इसका इस्तेमाल उन मूल्यों को दर्शाता है जो पुलिस विभाग के प्रतिष्ठा और गरिमा से संबंधित हैं। सोशल मीडिया के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए, इसका अनुचित उपयोग विभाग की छवि और जनता के विश्वास को कमजोर कर सकता है।

केंद्रीय सिविल सेवा (आचरण) नियम, 1964
आदेश में यह साफ़ किया गया है कि केंद्रीय सिविल सेवा (आचरण) नियम, 1964 के नियम 11 के अनुसार, कोई भी सरकारी कर्मचारी अन्य सरकारी कर्मचारियों या गैर-आधिकारिक व्यक्तियों से सीधे संवाद नहीं कर सकता या किसी भी दस्तावेज़ या जानकारी को साझा नहीं कर सकता जो उसके कब्जे में हो सकती है।

आधिकारिक जानकारी साझा करने की अनुमति
पुलिस मुख्यालय ने केवल आधिकारिक सोशल मीडिया खातों को सक्षम प्राधिकारी द्वारा विधिवत अधिकृत कर्मियों द्वारा आधिकारिक जानकारी साझा करने की अनुमति दी है। नियंत्रण अधिकारी इस संबंध में अनुपालन एवं सख्त कार्यवाही सुनिश्चित करेगा।

Vishal Verma

20 वर्षों के अनुभव के बाद एक सपना अपना नाम अपना काम । कभी पीटीसी चैनल से शुरू किया काम, मोबाईल से text message के जरिये खबर भेजना उसके बाद प्रिंट मीडिया में काम करना। कभी उतार-चड़ाव के दौर फिर खबरें अभी तक तो कभी सूर्या चैनल के साथ काम करना। अभी भी उसके लिए काम करना लेकिन अपने साथियों के साथ third eye today की शुरुआत जिसमें जो सही लगे वो लिखना कोई दवाब नहीं जो सही वो दर्शकों तक