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हिमाचल प्रदेश सीटू (CITU) का राज्य सम्मेलन 26 से 28 अक्टूबर को सोलन में

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हिमाचल प्रदेश सीटू (Centre of Indian Trade Unions – CITU) का राज्य सम्मेलन आगामी 26 से 28 अक्टूबर 2025 को सोलन में आयोजित होने जा रहा है। इस सम्मेलन में राज्यभर से मजदूर संगठनों के प्रतिनिधि, विभिन्न क्षेत्रों के कामगार और यूनियनों के पदाधिकारी भाग लेंगे। सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य राज्य में मजदूर संगठनों के ढांचे को सुदृढ़ करना, संगठनात्मक रूपरेखा तय करना और आने वाले समय में मजदूर आंदोलन को नई दिशा देना है।

सम्मेलन में विशेष रूप से निम्न मुद्दों पर गहन चर्चा होगी:

पूंजीवादी नीतियों के खिलाफ एकजुट लड़ाई — मजदूर, किसान और अन्य मेहनतकश वर्गों के संयुक्त संघर्ष को मज़बूत करने पर रणनीति बनाई जाएगी।

श्रम कानूनों पर हमला — नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा 44 श्रम क़ानूनों को समाप्त कर लागू की गई नई श्रम संहिताएं मजदूरों के अधिकारों को कमजोर करने और शोषण को तेज करने के उद्देश्य से लाई गई हैं। इन संहिताओं के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध और आंदोलन की दिशा तय की जाएगी।

निर्माण मजदूर कल्याण बोर्ड को कमजोर करने की साजिश — निर्माण मजदूरों को मिलने वाले अधिकार, उनके बच्चों के लिए दी जाने वाली स्कॉलरशिप और सामाजिक सुरक्षा योजनाओं को धीरे-धीरे समाप्त किया जा रहा है। इस पर आंदोलनात्मक रणनीति बनाई जाएगी।

परियोजना कर्मचारी, मिड-डे-मील, आंगनवाड़ी और आशा वर्कर्स को सरकारी कर्मचारी का दर्जा — 45वें भारतीय श्रम सम्मेलन में इन वर्गों को सरकारी कर्मचारी का दर्जा देने का वादा किया गया था, लेकिन आज तक पूरा नहीं हुआ। इसके खिलाफ आंदोलन को तेज करने का संकल्प लिया जाएगा।

मिड-डे-मील वर्कर्स की समस्याएं — हिमाचल प्रदेश में मिड-डे-मील वर्कर्स को न तो समय पर मानदेय मिलता है, न ही यह मानदेय पर्याप्त है। मात्र ₹3500 मासिक मानदेय में काम कर रही महिलाओं के शोषण के खिलाफ ठोस कदम उठाए जाएंगे।

आंगनबाड़ी वर्कर्स की गंभीर समस्याएं — राज्य में आंगनबाड़ी वर्कर्स और सहायिकाओं को बेहद कम मानदेय दिया जाता है और वह भी समय पर नहीं मिलता।

ग्रेच्युटी (सेवानिवृत्ति लाभ) न मिलना सबसे बड़ी समस्या है। दशकों तक सेवा देने के बाद भी आंगनबाड़ी वर्कर्स को ग्रेच्युटी का लाभ नहीं मिलता, जिससे उनकी वृद्धावस्था असुरक्षित हो जाती है।

पेंशन, मेडिकल सुरक्षा और स्थायी दर्जा जैसी बुनियादी सुविधाएं नहीं दी जा रही हैं।

केंद्र और राज्य सरकारें उनकी मेहनत का सम्मान नहीं कर रहीं और वर्कर्स को लगातार अस्थायी श्रेणी में रखा जा रहा है।
इन मुद्दों पर ठोस आंदोलनात्मक रणनीति बनाई जाएगी।

बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी — सरकार की नीतियों ने आम जनता की जिंदगी कठिन बना दी है। ठेका प्रथा और उद्योगों में मजदूरों के शोषण को संस्थागत रूप दिया जा रहा है, जिसके खिलाफ संघर्ष को तेज करने की योजना बनाई जाएगी।

राज्य सम्मेलन में यह स्पष्ट किया जाएगा कि मजदूरों के अधिकारों और सम्मान के लिए संघर्ष को और संगठित रूप से आगे बढ़ाया जाएगा। मजदूरों, किसानों और छात्रों के साझा मोर्चे को मजबूत करने की दिशा में ठोस रणनीति बनाई जाएगी ताकि पूंजीवादी नीतियों और श्रम विरोधी कानूनों का मजबूती से मुकाबला किया जा सके।

हिमाचल प्रदेश सीटू राज्य सम्मेलन में लिए गए निर्णय राज्यभर में मजदूर आंदोलन की नई दिशा तय करेंगे और आने वाले समय में मेहनतकश जनता के अधिकारों के लिए बड़े पैमाने पर संघर्ष छेड़ा जाएगा।

Vishal Verma

20 वर्षों के अनुभव के बाद एक सपना अपना नाम अपना काम । कभी पीटीसी चैनल से शुरू किया काम, मोबाईल से text message के जरिये खबर भेजना उसके बाद प्रिंट मीडिया में काम करना। कभी उतार-चड़ाव के दौर फिर खबरें अभी तक तो कभी सूर्या चैनल के साथ काम करना। अभी भी उसके लिए काम करना लेकिन अपने साथियों के साथ third eye today की शुरुआत जिसमें जो सही लगे वो लिखना कोई दवाब नहीं जो सही वो दर्शकों तक