समरहिल शिव बावड़ी में हुई तबाही का प्रियंका गांधी ने लिया जायजा
कुल्लू और मंडी जिलों के आपदाग्रस्त इलाकों का दौरा करने के बाद कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी बुधवार को शिमला के उपनगर समरहिल स्थित शिव बावड़ी मंदिर पहुंची और यहां विगत माह हुई तबाही का जायजा लिया। प्रियंका गांधी के साथ मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू भी मौजूद रहे।
सुबह करीब 10 बजे मुख्यमंत्री सुक्खू और प्रियंका गांधी का काफिला शिव बावड़ी मंदिर पहुंचा। प्रियंका गांधी ने भूस्खलन से जमींदोज हुए मंदिर का निरीक्षण करने के बाद पत्रकारों के सवाल पर कहा कि यह बहुत दर्दनाक हादसा था। हिमाचल में बरसात से भीषण तबाही हुई है, लोगों के घर बह गए हैं। सड़कों और नेशनल हाईवे को भारी नुकसान पहुंचा है। इसका राजनीतिकरण नहीं होना चाहिए।
प्रियंका गांधी ने कहा कि आपदा की इस घड़ी में सभी को एकजुट होकर काम करना चाहिए। इस समय केंद्र सरकार को राज्य के लोगों की खुलकर मदद करनी चाहिए। केंद्र को मदद देते समय यह नहीं देखना चाहिए कि यहां सरकार कांग्रेस की है या भाजपा की। हिमाचल प्रदेश के लोगों ने आपदा का मजबूती के साथ एकजुट होकर सामना किया है और प्रदेश सरकार ने लोगों की हर संभव मदद की है।
उन्होंने कहा कि जिस भावना के साथ लोगों ने इस मुश्किल घड़ी का सामना किया है, वह पूरे देश के लिए मिसाल है। उन्होंने केंद्र सरकार से इस त्रासदी को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने और प्रदेश की उदारतापूर्वक मदद करने का आग्रह भी किया। उन्होंने कहा कि जी-20 सम्मेलन में केंद्र सरकार द्वारा विदेशी सेब पर आयात शुल्क कम करना दुर्भाग्यपूर्ण है। इस कदम से विदेशी सेब का आयात आसान किया गया है और इसकी मार प्रदेश के सेब बागवानों पर पड़ेगी। गौरतलब है कि बीते 14 अगस्त (सोमवार) की सुबह करीब सवा सात बजे भूस्खलन और बाढ़ की चपेट में आने से शिव बावड़ी मंदिर ध्वस्त हो गया था। भूस्खलन इतना ख़ौफ़नाक था कि मंदिर का नामो निशान ही मिट गया। मंदिर में मौजूद श्रद्धालुओं को बच निकलने का समय तक नहीं मिला। श्रावण माह के आखिरी सोमवार को हुए इस भयानक हादसे ने कई परिवारों को मौत की नींद सुला दिया। हादसे में 20 लोग मारे गए। इनमें एक परिवार के सात लोगों की मौत हुई। इस परिवार की तीन पीड़ियां खत्म हो गईं। इसके अलावा हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के दो प्रोफसर व उनका परिवार भी मारा गया। एनडीआरएफ और पुलिस ने 11 दिन चलाए तलाशी अभियान में 20 शवों को बरामद किया था। भूस्खलन के बाद घटनास्थल पर तबाही का मंजर देखा गया।
करीब 150 साल पुराना यह मंदिर लोगों की आस्था का केंद्र रहा है। श्रावण के महीने में मंदिर में शिव भक्तों का तांता लगा रहता था। बीते सोमवार का दिन होने के चलते मंदिर में हवन यज्ञ और खीर के प्रसाद की तैयारी चल रही थी। इससे पहले भूस्खलन ने मंदिर को ध्वस्त कर दिया।
मंदिर परिसर में पुजारियों के रहने के लिए पांच कमरे हैं। यहां कई सालों से गढ़वाल के पुजारियों ने पूजा अर्चना का काम संभाला हुआ था। मंदिर परिसर में हवन व बड़े धार्मिक आयोजन भी होते थे। इस मंदिर के पास बावड़ी होने की वजह से इस जगह का नाम शिब बावड़ी पड़ा। हाल के कुछ वर्षों में मंदिर कमेटी ने इस मंदिर को भव्य रूप दिया था।
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