मनीष की कहानी उसी की जुबानी
आप लोगों से वायदा किया था अगर कल मनीष मीडिया के सामने आया और उससे कोई बात हुई तो आपको जरूर बताएंगे। हुआ भी आज ऐसा ही सुप्रीम कोर्ट से कुछ राहत मिलने के बाद सुबह 11 बजकर 30 मिनट पर वो सोलन के चाणक्य रेस्टॉरेंट में मीडिया के सामने आया और एक एक करके अपनी आप बीती सुनाने लगा। उसने परोक्ष रूप से तो किसी का नाम नही लिया लेकिन स्थानीय नेताओं को अपने निशाने पर जरूर रखा। मीडिया के लोगों ने उससे स्थानीय नेताओं के नाम पूछने की बहुत कोशिश करी लेकिन सधे हुए नेता की तरह वो इन सबसे बचता हुआ इशारों ही इशारों में बहुत कुछ कह गया। उसने इस मामले में अपने आपको एक आम कार्यकर्ता बताते हुए नेताओं पर उसे बेवजह टारगेट करने का आरोप लगाया। अपने आपको निर्दोष बताते हुए मनीष ने कहा कि जमीन बेचने में उसका कोई लेना-देना नहीं है और न ही वो जमीन खरीदवाने में वह बिचौलिया रहा है। वह तो सिर्फ स्थानीय नेताओं के कहने पर सिर्फ इस डील में गवाह बना था। वो तो खरीद कमेटी का सदस्य भी नही था जबकि जमीन के रेट से लेकर सभी औपचारिकताओं की जिम्मेदारी कमेटी की थी। जमीन को लेकर 118 की अनुमति न मिलने पर उससे नही जबकि कमेटी से पूछताछ होनी चाहिए क्योंकि ये उनके काम थे। मनीष ने कहा कि अगर वो गलत है तो उसे पार्टी जो भी सजा देगी उसके लिए वो तैयार है लेकिन मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर व भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी.नड्डा भी पार्टी स्तर पर भी इस मामले की जांच करें व जो भी इस मामले में दोषी उसके खिलाफ कार्रवाई हो।
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मनीष ने कहा कि उसने बार बार खरीद कमेटी को सूचित किया कि 118 की अनुमति ले ले लेकिन उनकी बातों पर गौर नहीं किया गया। जब धारा 118 की अनुमति लेने की प्रक्रिया शुरू हुई तो उसमें भूमि मालिक का लैंड लैस का एफेडेविट न लगाने की आपत्ति लग गई। प्रक्रिया आगे बढ़ती उससे पहले वर्ष 2018 में मुझे पार्टी ने भूमि मालिक का लैंड लैस का एफेडेविट लेने का कहा और दस दिनों के अंदर ही एफेडेविट लेकर तत्कालीन जिला अध्यक्ष को दे दिया। इस बारे कमेटी के अन्य सदस्यों को भी सूचित कर दिया। लेकिन हैरानी की बात है कि कमेटी ने इस एफेडेविट को सम्बन्धित कार्यालय में जमा ही नहीं किया।
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मनीष ने बताया कि उसे तो इस बात की जानकारी भी नही थी कि दीनानाथ ने जमीन किस और को बेच दी उसे तो इस बात का तब पता चला जब 16 जुलाई को सोलन थाने से उसे फोन आया । मनीष ने बताया कि उसने तो 16 व 17 जुलाई को पुलिस जांच में सहयोग भी दिया । लेकिन बावजूद उसके ऊपर बिना उसकी सुनवाई के भाजपा जिला अध्यक्ष ने शिकायत कर मामला दर्ज कर दिया गया। जबकि उसका रोल तो जमीन मामले में उसी दिन खत्म हो गया था जब जमीन को लेकर दोनों पक्षों में एग्रीमेंट साइन हो गया था इसके बाद की सारी भूमिका तो खरीद कमेटी की थी।
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मनीष ने पार्टी की जमीन के सौदे के मामले की जांच पार्टी से किसी भी स्तर में करने की मांग करी है और पार्टी का भी फर्ज बनता है कि इस मामले की अपने स्तर पर जरूर जांच कर ताकि दूध का दूध पानी का पानी हो जाए।
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इस मामले में मनीष की बातों में कितना दम है ये तो जांच के बाद ही पता चलेगा फिलहाल वो स्थानीय नेता कौन है जिसपर मनीष बार बार मनीष प्रश्नचिन्ह लगा रहा है ये लोगों के लिए जरूर चर्चा का विषय कुछ दिनों के लिए जरूर बन गया है। इस पिक्चर में कौन हीरो बनकर आएगा ये तो आने वाला समय ही बताएगा लेकिन पूरी फिल्म में विलेन कौन है ये सबसे बड़ा प्रश्न है।
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हो सकता है मनीष के बाद अब पार्टी की तरफ से भी कोई प्रतिक्रिया आए और अपना पक्ष रखे उसपर भी हमारी नजर रहेगी और उसी के साथ आपसे कल फिर इसी मुद्दे पर चर्चा होगी। करिए आप भी हमारे साथ कल तक का इंतजार क्योकि पिक्चर अभी बाकी है मेरे दोस्त