भाजपा के 71 मंत्रियों में से 10 दलित भाई, 27 मंत्री पिछड़ा वर्ग से और 5 मंत्री आदिवासी : कश्यप

Spread the love

नहान/सोलन, खेलने-कूदने का लो संकल्प, स्वस्थ्य रहने का है यही विकल्प यह भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष एवं सांसद सुरेश कश्यप ने शिलाई विधान सभा क्षेत्र के अंतर्गत “लाधी महोत्सव” नवयुवक मंडल नैनिधार द्वारा आयोजित खेल कूद व सांस्कृतिक प्रतियोगिता के समापन समारोह में बतौर मुख्य अतिथि शिरकत करते हुए कहा। कश्यप ने कहा की भारतीय जनता पार्टी सरकार ने बाबा साहब भीमराव अंबेडकर को भारत रत्न देने का कार्य किया।

उन्होंने कहा की आदरणीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने बाबा साहब को समर्पित करते हुए 26 नवंबर को संविधान दिवस मनाने की घोषणा की। 2014 से पूर्व संविधान दिवस नहीं मनाया जाता था, कांग्रेस की दलितों के प्रति कोई आस्था नहीं थी। दलितों के वोटबैंक की राजनीति तो की जाती थी लेकिन उनकी चिंता नहीं की जाती थी, उनकी चिंता यशस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने की। डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की जन्मभूमि पर एक बड़ा मेमोरियल बनाया गया, लंदन में जहां उनकी शिक्षा हुई थी उस भूमि को खरीद कर भारत सरकार ने उसे शिक्षा भूमि बनाया और इसी तरह से नागपुर में दीक्षा भूमि बनाई और दिल्ली में महापरिनिर्वाण भूमि बनाई गई। इसी तरह मुंबई में भी चैतन्य भूमि बनाकर बाबा साहब अंबेडकर को सम्मान देने का कार्य किया गया।

सुरेश कश्यप ने कहा कि स्वर्गीय श्री अटल जी की भाजपा सरकार में ही लोकसभा का पहला दलित अध्यक्ष बनाया गया। आज भाजपा के 71 मंत्रियों में से 10 दलित भाई हैं, 27 मंत्री पिछड़ा वर्ग से हैं और 5 मंत्री आदिवासी भाई हैं। दलितों, पिछड़ों और आदिवासियों को मुख्यधारा में लाने का कार्य भाजपा सरकार ने किया है। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बनाए गए 4 करोड़ घरों में 1 करोड़ 77 लाख घर दलित भाइयों को मिले हैं। आयुष्मान भारत और प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना जैसी केंद्रीय कल्याणकारी योजनाओं के सबसे अधिक लाभार्थी दलित भाई-बहन ही हैं।

Vishal Verma

20 वर्षों के अनुभव के बाद एक सपना अपना नाम अपना काम । कभी पीटीसी चैनल से शुरू किया काम, मोबाईल से text message के जरिये खबर भेजना उसके बाद प्रिंट मीडिया में काम करना। कभी उतार-चड़ाव के दौर फिर खबरें अभी तक तो कभी सूर्या चैनल के साथ काम करना। अभी भी उसके लिए काम करना लेकिन अपने साथियों के साथ third eye today की शुरुआत जिसमें जो सही लगे वो लिखना कोई दवाब नहीं जो सही वो दर्शकों तक