पात्र लोगों की पहचान को पांच साल के लिए बनाए जा रहे हिम बस कार्ड : सीएम सुक्खू
हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि पात्र लोगों की पहचान के लिए पांच साल की अवधि के लिए हिम बस कार्ड बनाए जा रहे हैं। 1 जनवरी 2026 से प्रदेश में नई व्यवस्था शुरू होगी। लोगों से सिर्फ कार्ड बनाने का शुल्क लिया जा रहा है। 17,000 लोगों ने प्रदेश में कार्ड बना लिए हैं। लोकमित्र केंद्रों में भी सुविधा मिल रही है। उन्होंने कहा कि बाहरी राज्यों की महिलाएं परवाणू और पठानकोट के आसपास कम किराये की योजना का लाभ उठा रही हैं। दिव्यांगजनों की श्रेणी में भी कई अपात्र शामिल हो गए। इसके चलले सरकार ने योजना में बदलाव किया है। हिम बस कार्ड को हिम परिवार पोर्टल से भी लिंक किया गया है। इससे पात्र व्यक्ति का हर ब्योरा सरकार के पास परिवार की जानकारी सहित उपलब्ध रहेगा।
दिव्यांगजनों को पुराने पहचान पत्र पर ही निशुल्क सुविधा दी जानी चाहिए: डीएस ठाकुर
बुधवार को प्रश्नकाल के दौरान डलहौजी से भाजपा विधायक डीएस ठाकुर ने मामला उठाते हुए कहा कि दिव्यांगजनों के भी हिम बस कार्ड बनाया जाना गलत है। प्रदेश के कई क्षेत्रों में इंटरनेट की सुविधा सही तरीके से नहीं मिल रही है। इसके अलावा दिव्यांगों को कार्ड बनाने के लिए केंद्रों तक पहुंचाना भी मुश्किल है। उन्होंने कहा कि दिव्यांगजनों को पुराने पहचान पत्र पर ही निशुल्क सुविधा दी जानी चाहिए। उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री की अनुपस्थिति में उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने बताया कि एचआरटीसी की बसों में 28 श्रेणी के लोगों को बस सफर में सब्सिडी दी जा रही है।
सुविधा का बड़े स्तर पर दुरुपयोग हो रहा
सरकार ने पाया कि इस सुविधा का बड़े स्तर पर दुरुपयोग हो रहा है। मंत्री ने कहा कि हिम बस कार्ड बनाने का उद्देश्य सिर्फ लोगों को चिन्हित करना है। कार्ड पर लोगों की फोटो लगेगी। इससे सरकार को यह भी पता चलेगा की असल स्थिति में कितने लोग निशुल्क बस सेवा का लाभ उठा रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश में अभी पुरानी व्यवस्था जारी है। नए साल से हिम बस कार्ड की सुविधा शुरू होगी। इसी बीच मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में सिर्फ हिम बस कार्ड बनाने की कीमत ली जा रही है। सुविधा पहले ही तरह निशुल्क और सब्सिडी आधारित ही रहेगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश में 3,000 दिव्यांगजनों के कार्ड बन भी गए हैं।
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