गिरिपार के हाटी समुदाय के डगयाली नाच व सिंहटू नृत्य का भोपाल में धमाल

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अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त एवं वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड होल्डर डॉ जोगेन्द्र हाब्बी ने प्रेस को जारी बयान में बताया कि सिरमौर जनपद के गिरिपार हाटी जनजातीय क्षेत्र के लोक कलाकारों ने मध्य प्रदेश जनजातीय संग्रहालय भोपाल में 27 से 29 सितंबर तक आयोजित तीन दिवसीय प्रतिरूप नृत्योत्सव में सिंहटू नृत्य और  डग्याली नाच का प्रदर्शन किया।इस नृत्य उत्सव का आयोजन जनजातीय लोक कला एवं बोली विकास अकादमी, मध्यप्रदेश संस्कृति परिषद के सौजन्य से किया गया। तीन दिवसीय प्रतिरूप नृत्योत्सव का शुभारंभ 27 सितम्बर को हुआ। इस मौके पर संस्थान के निदेशक डॉ. धर्मेन्द्र पारे, पद्मश्री दुर्गाबाई, तथा पद्मश्री ओमप्रकाश भारती विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।

भारत वर्ष के अनेकों राज्यों में प्रचलित मुखौटा नृत्यों पर केन्द्रित राष्ट्रीय स्तरीय नृत्य उत्सव में डा. हाब्बी के नेतृत्व में गिरिपार के सिंहटू और डग्याली नाच की प्रस्तुति को दर्शकों ने बहुत पसंद किया। पद्मश्री विद्यानंद सरैक व डॉ जोगेन्द्र हाब्बी के निर्देशन में तैयार किए गए नृत्यों को लोक कलाकारों ने बहुत ही आकर्षक अन्दाज में प्रदर्शित कर भोपाल के जनमानस में गिरिपार के हाटी क्षेत्र की सांस्कृतिक विधाओं के प्रति आकर्षण और रोचकता को और अधिक बढ़ाया है।

गौरतलब है कि डग्याली नृत्य का पर्व कृष्ण जन्माटमी के पश्चात् आने वाली त्रयोदश और चतुर्दश की रात्रि को होता है तथा सिंहटू नृत्य सिरमौर के गिरिपार क्षेत्र के लेऊ नाना व कुप्फर गांव में दीपावली और एकादशी के दिन किया जाता है। सिंहटू नृत्य और डग्याली नृत्य में कई प्रकार के मुखोटों को पहनकर नृत्य किया जाता है जो देखने वालों को बरबस ही अपनी और आकर्षित करते हैं।

मुखौटा नृत्यों पर केन्द्रित तीन दिवसीय राष्ट्रीय स्तरीय नृत्य समारोह में डॉ जोगेन्द्र हाब्बी के नेतृत्व में चूड़ेश्वर लोक नृत्य सांस्कृतिक मण्डल के कलाकारों में सुप्रसिद्ध लोक गायक रामलाल वर्मा, गोपाल हाब्बी तथा बिमला चौहान, शहनाई व बांसुरी वादक बलदेव, ढोलक वादक संदीप, करनाल व रणसिंगा वादक मुकेश, लोक नर्तकों में चमन, मनमोहन, अमीचन्द, इन्द्रदेव, सुनील, सरोज, अनुजा, आरती, पायल आदि कलाकार शामिल थे।

मध्य प्रदेश जनजातीय संग्रहालय में चल रहे राष्ट्रीय स्तरीय उत्सव में सिरमौर जनपद के गिरिपार हाटी क्षेत्र के सिंहटू और डग्याली नृत्य के अलावा, गुजरात का भवाड़ा, उड़ीसा का साहीजाता, केरल का थैययम, महाराष्ट्र का सौंगी मुखौटा, उत्तरांचल का रम्माण, पश्चिम बंगाल का पुरलिया छउ, मणिपुर का पक्षी नृत्य, सिक्किम का बजयोगिनी और लाखे नृत्य आदि मुखौटा नृत्यों की प्रस्तुतियों में सिरमौर जिला के सिंहटू नृत्य और डग्याली नाच इस नृत्योत्सव का मुख्य आकर्षण रहे।

Vishal Verma

20 वर्षों के अनुभव के बाद एक सपना अपना नाम अपना काम । कभी पीटीसी चैनल से शुरू किया काम, मोबाईल से text message के जरिये खबर भेजना उसके बाद प्रिंट मीडिया में काम करना। कभी उतार-चड़ाव के दौर फिर खबरें अभी तक तो कभी सूर्या चैनल के साथ काम करना। अभी भी उसके लिए काम करना लेकिन अपने साथियों के साथ third eye today की शुरुआत जिसमें जो सही लगे वो लिखना कोई दवाब नहीं जो सही वो दर्शकों तक